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Up Kiran, Digital Desk: हर साल 8 सितंबर को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल शिक्षा के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि उन चुनौतियों की भी याद दिलाता है जो आज भी साक्षरता के रास्ते में बाधा बनी हुई हैं। 2025 में इस दिवस की थीम है – "डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना", जो तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तेज़ी से बढ़ती दुनिया में हर व्यक्ति को शामिल करने की जरूरत पर फोकस करती है।
साक्षरता दिवस क्यों है जरूरी?
तकनीकी प्रगति और डिजिटल सुविधाओं के बावजूद, आज भी करोड़ों लोग पढ़ने-लिखने जैसी बुनियादी क्षमताओं से वंचित हैं। यूनेस्को का यह दिन समाज को इस ओर जागरूक करता है कि केवल टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि साक्षरता ही असली सशक्तिकरण की कुंजी है।
2025 की थीम: डिजिटल युग में साक्षरता
इस वर्ष की थीम समकालीन वैश्विक परिदृश्य को दर्शाती है। डिजिटल साक्षरता आज की जरूरत बन चुकी है। ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग, सरकारी सेवाओं तक पहुंच, डिजिटल लेन-देन – इन सबके लिए पढ़ना और समझना जरूरी है। ऐसे में डिजिटल युग की साक्षरता, केवल किताबों से आगे की बात करती है।
यूनेस्को का उद्देश्य साफ है – कोई भी पीछे न छूटे। यह संदेश खासतौर पर उन समुदायों के लिए है, जो अभी भी शिक्षा और डिजिटल प्लेटफॉर्म से दूर हैं।
मिजोरम: भारत का सबसे साक्षर राज्य
2023-24 के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के आंकड़ों के अनुसार, मिजोरम ने 98.2% की साक्षरता दर के साथ भारत में पहला स्थान हासिल किया है। यह राज्य अब केरल को पीछे छोड़ चुका है, जिसकी साक्षरता दर 95.3% है और जो अब चौथे स्थान पर खिसक गया है।
लक्षद्वीप, 97.3% के साथ सबसे अधिक साक्षर केंद्र शासित प्रदेश है।
मिजोरम की यह उपलब्धि अचानक नहीं आई। राज्य ने सामुदायिक शिक्षा कार्यक्रमों, निरंतर अभियान और स्थानीय जागरूकता पहलों के ज़रिए यह मुकाम हासिल किया है। 2011 की जनगणना में जहां इसकी साक्षरता दर 91.33% थी, वहीं अब यह राष्ट्रीय स्तर पर उदाहरण बन चुका है।