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Israel Iran war: हमास के मुखिया की हत्या के बाद भी शांत रहने वाला ईरान हिजबुल्लाह के मुखिया की मौत से भड़क गया है। ईरान ने मंगलवार रात इजराइल पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं। हालाँकि इनमें से कई मिसाइलों को अमेरिका और इज़रायल ने मार गिराया है, मगर कुछ इज़रायली सैन्य ठिकानों पर गिरी हैं। इस हमले में एक इजरायली नागरिक की मौत हो गई है। अब इजराइल ने चेतावनी दी है कि उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। ईरान और इजराइल, जो कभी घनिष्ठ मित्र थे, अब जानी दुश्मन बन गए हैं।

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर धनंजय त्रिपाठी के मुताबिक, ईरान और इजराइल के बीच अब इतनी दरार आ गई है कि ईरान को लगता है कि इजराइल को अस्तित्व में रहने का कोई अधिकार नहीं है। ईरान इजराइल को छोटा राक्षस और अमेरिका को बड़ा राक्षस मानता है। ईरान इन दोनों देशों को मध्य पूर्व से बाहर निकालना चाहता है।

इजराइल का मानना ​​है कि ईरान हिजबुल्लाह, हमास और हौथी विद्रोहियों को फंडिंग कर रहा है। इन दोनों की दुश्मनी में अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं। ईरान ने इजराइल के खिलाफ दूसरे देशों को एकजुट कर लिया है। ईरान, जो इज़रायल के अस्तित्व का विरोधी था, ने कभी इज़रायल की स्थापना का समर्थन किया था।

1979 में इस्लामी क्रांति तक इज़राइल और ईरान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध थे। उस समय ईरान में पहलवी राजा का शासन था। तब ईरान भी अमेरिका का अहम सहयोगी था। 1948 में जब इजराइल की स्थापना हुई तो उसका समर्थन करने वाला पहला देश तुर्की था और दूसरा ईरान था।

इज़राइल के पहले पीएम, संस्थापक डेविड बेन गुरियन ने पहले अरब देशों के साथ दोस्ती के लिए ईरान से संपर्क किया था। चूँकि इजराइल एक यहूदी देश था इसलिए इसके पड़ोसी मुस्लिम देश थे। इसी वजह से आगे की दिक्कतों से बचने के लिए ये दोस्ती की गई थी। हालाँकि, 1979 में अयातुल्ला खामेनेई ने राजा को उखाड़ फेंका और खुद को ईरान का रक्षक घोषित करते हुए एक मुस्लिम राज्य की स्थापना की। इसके चलते खामनेई ने देश में अमेरिका और इजराइल के खिलाफ फूट पैदा कर दी। इस संकट की चपेट में अन्य मुस्लिम देश भी आये।

खामेनेई ने इजराइल से संबंध तोड़ दिए। इसने अपने ही नागरिकों को पासपोर्ट जारी करने से इनकार कर दिया। तेहरान में इजरायली दूतावास को बंद कर दिया गया और फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को सौंप दिया गया। उस समय स्वतंत्र फ़िलिस्तीन के लिए इज़रायल के विरुद्ध लड़ाई चल रही थी।

इजराइल ने एक बार ईरान के लिए लड़ाई लड़ी थी

इज़राइल-ईरान इतने मित्रतापूर्ण थे कि खमेनेई की साजिशों के बावजूद इज़राइल ईरान के लिए इराक के साथ युद्ध में चला गया। 1980-1988 के दौरान, ईरान सद्दाम हुसैन के इरोक के साथ युद्ध में था। 22 सितम्बर 1980 को हुसैन की सेना ने ईरान पर अचानक हमला कर दिया। उस समय इजराइल ने ही सब कुछ भूलकर ईरान को युद्ध सामग्री दी थी।

इराक के ओसिरक परमाणु ऊर्जा रिएक्टर पर बमबारी करने के लिए न केवल युद्ध सामग्री, बल्कि विमान भी भेजे गए थे। यह नष्ट हो गया था। 1990 तक इजराइल ईरान को दुश्मन नहीं मानता था। मगर बाद में वे टूटने लगे। ईरान के परमाणु हथियारों की ओर बढ़ने के बाद वे अलग होने लगे। इजराइल नहीं चाहता था कि उसके आसपास कोई भी परमाणु हथियार वाला देश हो।

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