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Up Kiran, Digital Desk: प्रेग्नेंसी के दौरान शारीरिक संबंधों को लेकर महिलाओं और उनके परिवारों में अक्सर अनिश्चितता और सवाल पैदा होते हैं। खासतौर पर तब जब पहली बार गर्भधारण होता है तब इस विषय पर चर्चा करने में झिझक और गलतफहमियां आम हैं। इस लेख में हम इस पहलू पर ध्यान देंगे कि कैसे सही जानकारी और समझदारी इस अनुभव को सुरक्षित और आरामदायक बना सकती है।
प्रेग्नेंसी और शारीरिक संबंध: क्या है सच
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय के अनुसार यदि गर्भावस्था सामान्य रूप से चल रही हो और कोई चिकित्सीय जटिलता न हो तो गर्भधारण के दौरान शारीरिक संबंध सुरक्षित माने जाते हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे को गर्भाशय की मांसपेशियों और अम्नियोटिक फ्लूड की सुरक्षा प्राप्त होती है जिससे वह बाहरी दबावों से सुरक्षित रहता है।
प्रेग्नेंसी में महिलाओं के हार्मोन में बदलाव होते हैं जिसके कारण उनके मनोभाव और शारीरिक इच्छाओं में उतार-चढ़ाव आना सामान्य है। ऐसे समय में पति-पत्नी के बीच संवाद और भावनात्मक समझदारी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
भावनाओं का महत्व: सिर्फ शरीर नहीं मन भी बदलता है
गर्भावस्था केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं बल्कि भावनाओं का भी सफर है। पहले तीन महीनों में महिलाओं को अक्सर थकान मतली और अनियमित मूड का सामना करना पड़ता है जिससे शारीरिक संबंधों में रुचि कम हो सकती है। दूसरे तिमाही में ये लक्षण कम हो जाते हैं और कई महिलाएं खुद को अधिक सहज महसूस करती हैं जिससे इस अवधि में अंतरंगता बढ़ सकती है। तीसरे तिमाही में बढ़े हुए पेट के कारण आरामदायक पोजीशन अपनाना जरूरी हो जाता है।
इस पूरे दौर में दोनों साथी की भावनात्मक जरूरतों और सहमति का सम्मान करना सबसे बड़ा पहलू होता है। जबरदस्ती या दबाव से बचना चाहिए और एक-दूसरे की इच्छाओं को समझना चाहिए।
किन हालातों में बचाव जरूरी
कुछ गर्भधारण की स्थितियों में शारीरिक संबंध बनाना स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है। उदाहरण के लिए-
प्लेसेंटा प्रिविया: जब प्लेसेंटा गर्भाशय के नीचे की ओर होता है जिससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है।
प्रसव पूर्व खतरा: अगर डॉक्टर ने समय से पहले प्रसव की आशंका जताई है।
पहले गर्भपात का इतिहास: ऐसी स्थिति में अधिक सावधानी बरतनी होती है।
जुड़वा गर्भ: डॉक्टर अक्सर इस स्थिति में संयम बरतने की सलाह देते हैं।
हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी: जहां स्वास्थ्य विशेषज्ञ संबंध बनाने से मना करते हैं।
सलाह और सावधानी
हर महिला और जोड़े के लिए जरूरी है कि वे गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से सलाह लें और किसी भी असामान्यता जैसे दर्द ब्लीडिंग या असहजता होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। साथ ही दोनों पक्षों की सहमति और सहजता का विशेष ध्यान रखें। शारीरिक थकान या मन की अनिच्छा होने पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए।
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