hijab ban: चरमपंथ से निपटने के लिए एक जरूरी कदम उठाते हुए 95 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या वाले देश ताजिकिस्तान ने महिलाओं के हिजाब पहनने पर पूरी तरह बैन लगा दिया है।
इससे पहले 2007 से स्कूलों में और 2009 से सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पर बैन लगा दिया गया था। अब महिलाओं को देश में कहीं भी किसी भी तरह के कपड़े से अपना सिर ढकने से इंकार किया गया है। राष्ट्रपति इमोमाली रहमान, जो बीते तीन दशकों से सत्ता में हैं उन्होंने कहा कि धार्मिक पहचान देश के विकास में बाधा बन रही है। हालाँकि, इस बात की चिंता है कि इस कदम से सरकार के खिलाफ देश के चरमपंथी तत्वों के बीच एकता पैदा हो सकती है।
सरकार ने एक कानून बनाया है जिसके तहत बच्चों को सार्वजनिक जगहों पर धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने से रोका गया है। अगर कोई बच्चा विदेश में धार्मिक शिक्षा हासिल करता है, तो उसके माता-पिता को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उन्हें सजा का सामना करना पड़ेगा। सरकार देश भर में मस्जिदों को बंद करने की योजना बना रही है।
ताजिकिस्तान सरकार ने कहा कि इन प्रतिबंधों के ज़रिए उसका मकसद अपने राष्ट्रीय सांस्कृतिक को बचाना है। उनका मानना है कि इससे अंधविश्वास और कट्टरपंथ से निपटने में सहायता मिलेगी। सरकार इस्लामी जीवन शैली और पहचान को धर्मनिरपेक्षता के लिए चुनौती मानती है। ताजिक सरकार कट्टरपंथ को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानती है।
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