
इस समय इजरायल और ईरान के बीच हवाई संघर्षतेज़ हुआ है। हाल के हफ्तों में इजरायल ने ईरान पर कोर परमाणु और मिसाइल स्थलों पर एयर स्ट्राइक की है, वहीं ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन के ज़रिए पलटवार किया। इस द्विपक्षीय हमले में अब तक दर्जनों ईरानियों और इजरायली नागरिकों की जान गई है ।
इजरायल की एरो डिफेंस प्रणाली को कैसे थकाएगा ईरान?
इजरायल की सुरक्षा में तीन प्रमुख परतें हैं – Iron Dome (छोटे मिसाइलों के लिए), David’s Sling (मध्यम दूरी की मिसाइलों के लिए) और Arrow‑2/Arrow‑3 (लंबी दूरी व बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए)। इनकी मरम्मत और रक्षात्मक क्षमता सीमित स्टॉक पर आधारित है ।
ईरान ने अब तक एक साथ सैकड़ों मिसाइल और ड्रोन छोड़े, ताकि इजरायल की प्रणालियों को 'सैचुरेट' (ओवरलोड) किया जा सके। पिछले हमलों में करीब 180 बैलिस्टिक मिसाइलें एक साथ दागी गईं, जिसमें कुछ इजरायल की एयरबेसों तक पहुंच गईं ।
ईरानी रणनीति क्या है?
ईरान का उद्देश्य है इजरायल की एयर डिफेंस को थकाना और उसकी क्षमताओं को सीमा तक पहुंचाना। इसके लिए ईरान:
लगातार मिसाइल सैल्वो भेज रहा है, ताकि इन्टरसेप्टर स्टॉक ख़त्म हो जाएं,
गुप्त तकनीक जैसे हाइपर्सोनिक मिसाइलें (Fattah‑1, Kheibar Shekan) का उपयोग कर रहा है, जो ज़्यादा तेज़ और चतुर हैं ।
ड्रोन हमलों और जामिंग तकनीक से इजरायली रडार को भ्रमित कर रहा है ।
आंशिक सफलता और सीमाएँ
इज़राइल फिलहाल रक्षात्मक रूप से काबू में नजर आ रहा है, लेकिन हाल ही में कुछ मिसाइलें बच निकलीं। विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह जंग लंबे समय तक जारी रही, तो इज़राइल की डिफेंस स्टॉक जल्दी खत्म हो सकती है ।
आगे क्या होगा?
इस तनाव की लंबी लड़ाई कई बातों पर निर्भर करेगी:
मिसाइल और इंटरसेप्टर स्टॉक का ख़त्म होना,
अमेरिका और अन्य देशों का किस तरह शामिल होना,
और क्या दोनों देश हथियारस्तर पर आगे बढ़ेंगे या कूटनीतिक रास्ते अपनाएंगे ।
तुलना की जाए तो यह अब तक एक हवाई व मिसाइल आधारित जंग बनी हुई है। हालाँकि, समय के साथ यह जंग और गंभीर हो सकती है और भविष्य के दृष्टिकोण को लेकर कोई स्पष्ट दिशा अभी नहीं दिख रही।
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