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Netanyahu visit US: इजरायली पीएम नेतन्याहू जब हंगरी से उड़ान भरकर अमेरिका पहुंचे थे, तो उनके चेहरे पर उम्मीद की चमक थी। उन्हें भरोसा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बाद टैरिफ पर राहत मिलेगी और इजरायल को मजबूती मिलेगी। मगर वाइट हाउस में जो हुआ, उसने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

अब जब वे मंगलवार दोपहर एंड्रयूज़ एयर फोर्स बेस से वापस इजरायल लौटने की तैयारी कर रहे हैं, तो न उनके चेहरे पर खुशी है, न ही कोई बयान उनकी जुबान पर। ये यात्रा इजरायल के लिए एक कूटनीतिक झटके से कम नहीं रही।

नेतन्याहू का ये दौरा आसान नहीं था। गाजा में कत्लेआम के आरोपों के चलते अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के गिरफ्तारी वारंट की तलवार उनके सिर पर लटक रही है। सुरक्षा को ताक पर रखकर उन्होंने हवाई मार्ग से 400 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाया, ताकि उन देशों के हवाई क्षेत्र से बचा जा सके जहां आईसीसी के नियम लागू हैं। मगर इतना जोखिम उठाने के बाद भी जो हाथ लगा, वो सिर्फ निराशा थी।

ट्रंप ने दिए दो बड़े झटके

बता दें कि नेतन्याहू की मांगों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर था इजरायली सामानों पर लगे 17 प्रतिशत टैरिफ को हटवाना। मगर ट्रंप ने साफ इनकार कर दिया। ये पहला झटका था। दूसरा और बड़ा झटका तब लगा, जब ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु समझौते को लेकर सीधी बातचीत की घोषणा कर दी। ईरान को इजरायल अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है, और ट्रंप का ये कदम नेतन्याहू के लिए किसी सदमे से कम नहीं। इजरायल लंबे वक्त से ईरान के विरुद्ध अमेरिका का मजबूत साथ चाहता था, मगर ट्रंप ने अपनी राह अलग चुन ली।