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Up Kiran, Digital Desk: शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात इज़राइल पर मौत ने आसमान से दस्तक दी। रात के करीब 2:17 बजे जब ज़्यादातर लोग नींद में थे उस वक़्त रमत गान और रिशोन लेजियन शहर ईरान की मिसाइलों का निशाना बन गए। हमले में अब तक दो लोगों की मौत और 34 से अधिक लोग घायल होने की पुष्टि हुई है। मगर ज़ख्म सिर्फ शरीर पर नहीं पूरे राष्ट्र की आत्मा पर हैं।

इस हमले ने रमत गान और रिशोन लेजियन की सड़कों को ऐसा रूप दे दिया है कि पहली नज़र में लगेगा जैसे आप ग़ाज़ा की किसी तबाह बस्ती में खड़े हैं टूटी हुई इमारतें जलती गाड़ियां और रोते-बिलखते लोग।

सायरन बजने से पहले ही घर ढह चुके थे

इज़रायली नागरिकों के लिए सायरन किसी खतरे की पहली आवाज़ होती है। मगर इस बार आवाज़ें देर से आईं — और तब तक बहुत कुछ खत्म हो चुका था। रमत गान के एक निवासी 54 वर्षीय डेविड अमीचर ने हमारे संवाददाता को बताया कि हम नींद में थे। अचानक घर की दीवारें कांपने लगीं। लगा भूकंप आ गया है। जब बाहर भागे तो देखा हमारा पड़ोसी घर ही नहीं रहा। धुआं आग और हर तरफ चीखें थीं।

MDA टीमें बनीं देवदूत

घटना के तुरंत बाद मेगन डेविड एडोम (MDA) की मेडिकल और रेस्क्यू टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं। घायल लोगों को स्ट्रेचर पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया। कई लोगों को सिर्फ चोटें नहीं गहरा मानसिक सदमा भी पहुंचा है।

रेस्क्यू टीम के एक सदस्य ने कहा कि हमें लगा था हम ग़ाज़ा में राहत कार्य कर रहे हैं। मगर ये तो अपना ही शहर था। बच्चों की चीखें मलबे के नीचे दबी सांसें – ये सब भूलना आसान नहीं होगा।

हमले के पीछे की मंशा क्या है

ईरान द्वारा किया गया यह हमला किसी जवाबी कार्रवाई के तहत आया है यह तो स्पष्ट है मगर इसकी टाइमिंग और रणनीति ने सुरक्षा विशेषज्ञों को चौंका दिया है। इज़रायली सैन्य सूत्रों के मुताबिक मिसाइलें शायद इराक और सीरिया से छोड़ी गईं ताकि रडार सिस्टम को भटकाया जा सके। अब तक किसी स्पष्ट जवाबी हमले की घोषणा नहीं हुई है मगर इज़राइल के रक्षा मंत्री योआव गैलांट ने चेताया है कि हमारे धैर्य की परीक्षा न लें। यह सिर्फ शुरुआत है।

जनता में डर और आक्रोश का मिला-जुला माहौल

तेल अवीव से लेकर हाइफा तक पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। स्कूल बंद कर दिए गए हैं और बंकर फिर से खोल दिए गए हैं। इज़राइल की जनता एक बार फिर युद्ध जैसे माहौल में जी रही है मगर इस बार सवाल सिर्फ सुरक्षा का नहीं मानवता का भी है।

क्या ये गाजा के बाद अब इज़राइल की बारी है

रमत गान और रिशोन लेजियन की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें से कई आपको ग़ाज़ा में हुए हमलों की याद दिला देंगी। फर्क सिर्फ यह है कि इस बार हमला उन गलियों में हुआ है जिन्हें हमेशा ‘सुरक्षित’ समझा गया। गंभीर विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना मध्य पूर्व में एक नए और खतरनाक अध्याय की शुरुआत हो सकती है।

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