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Up Kiran, Digital Desk: गाज़ा में लंबे समय से जारी संघर्ष के बीच, इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की हालिया घोषणा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस को तेज कर दिया है। नेतन्याहू ने एक अमेरिकी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनका लक्ष्य गाज़ा पर पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित करना है, ताकि हमास को पूरी तरह खत्म किया जा सके। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि इज़राइल का इरादा इस क्षेत्र को स्थायी रूप से अपने अधीन रखने का नहीं है।

नेतन्याहू का कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य गाज़ा को हमास के प्रभाव से मुक्त कराना और क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि अंतिम फैसला अभी सुरक्षा मंत्रिमंडल द्वारा लिया जाना बाकी है। लेकिन उनके इस बयान के बाद आम गाज़ावासियों के बीच भविष्य को लेकर चिंता और अनिश्चितता बढ़ गई है।

प्रधानमंत्री ने संकेत दिया कि गाज़ा का प्रशासन भविष्य में ऐसी अरब सेनाओं को सौंपा जा सकता है, जो न सिर्फ स्थिरता बनाए रखें, बल्कि स्थानीय लोगों को एक बेहतर जीवन भी प्रदान करें। इस बयान से साफ है कि इज़राइल एक स्थायी समाधान की तलाश में है, लेकिन इसका तरीका कई सवाल खड़े करता है।

इस पूरे घटनाक्रम की जड़ें अक्टूबर 2023 में हुई उस घटना में हैं, जब हमास के हमलों में 1,200 से अधिक इज़राइली नागरिक मारे गए थे। इस त्रासदी के बाद इज़राइल ने गाज़ा पर तीव्र सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिसमें अब तक 61,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी अपनी जान गंवा चुके हैं। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं और मानवीय सहायता की भारी कमी के कारण गाज़ा में हालात बेहद गंभीर हो गए हैं।

अब जब इज़राइली कैबिनेट ने नेतन्याहू की योजना को मंजूरी दे दी है, तो गाज़ा पर पूर्ण नियंत्रण की दिशा में कदम और तेज हो सकते हैं। वर्तमान में इज़राइल पहले ही गाज़ा के लगभग तीन-चौथाई हिस्से पर कब्जा कर चुका है। यदि वह शेष क्षेत्र को भी अपने अधीन करता है, तो इससे उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि पर असर पड़ सकता है, खासकर तब जब उसके कई पश्चिमी सहयोगी इस संघर्ष को लेकर पहले ही असहमति जता चुके हैं।

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