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Up Kiran, Digital Desk: नॉर्डिक क्षेत्र जैसे फ़िनलैंड, स्वीडन, डेनमार्क और नॉर्वे में एक दिलचस्प परंपरा देखी जाती है, जहां माता-पिता अपने छोटे बच्चों को ठंडे मौसम में बाहर सुलाना आम बात है। खास बात यह है कि तापमान अक्सर शून्य डिग्री सेल्सियस से भी नीचे होता है, लेकिन यहां के लोग मानते हैं कि खुली और ठंडी हवा में सोने से बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है।

बच्चों की सेहत पर ठंडी हवा का असर

इस परंपरा का मुख्य मकसद बच्चों की नींद की गुणवत्ता को बढ़ाना और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना है। वैज्ञानिक और पारंपरिक दोनों दृष्टिकोणों से माना जाता है कि ठंडी और स्वच्छ हवा बच्चे की नींद को गहरा बनाती है। इसके अलावा, खुली हवा में सोने से बच्चे का शरीर मौसम के अनुसार एडजस्ट होना सीखता है, जिससे उनकी इम्यूनिटी बढ़ती है और वे बीमार कम पड़ते हैं।

पारिवारिक सुरक्षा और देखभाल

हालांकि यह आदत तब ही सुरक्षित मानी जाती है जब माता-पिता बच्चे की देखभाल पूरी सावधानी से करते हैं। बच्चे को कई परतों वाले गर्म कपड़ों से अच्छी तरह ढंका जाता है जैसे ऊनी कपड़े, टोपी और दस्ताने। इसके साथ ही बच्चों को ऐसे प्रैम या स्ट्रोलर में रखा जाता है जो ठंडी हवा और बर्फ से पूरी सुरक्षा देते हैं। परिवार हमेशा बच्चों की निगरानी में रहते हैं ताकि किसी भी तरह की असुविधा न हो।