img

Up Kiran, Digital Desk: बिहार में अगले विधानसभा चुनाव को लेकर जनता दल (यूनाइटेड) ने लगभग 103 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का चयन पूरा कर लिया है। हालांकि, इस बात की आधिकारिक घोषणा जल्द ही एनडीए के शीर्ष नेतृत्व की ओर से की जाएगी। इस बार पार्टी ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जिनका सीधा असर आम लोगों और स्थानीय राजनीति पर पड़ने वाला है।

जनता की राय के आधार पर JDU ने किया उम्मीदवारों का पुनर्निर्धारण

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, चार मौजूदा विधायकों को उनकी कमजोर चुनावी पकड़ के कारण टिकट नहीं मिलेगा। यह कदम JDU ने जनता और कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक को ध्यान में रखते हुए उठाया है। खास बात यह है कि खगड़िया जिले के परबत्ता से वर्तमान विधायक संजय कुमार ने हाल ही में RJD का दामन थाम लिया है, जिसके चलते वहां भी नया उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा। साथ ही रूपौली सीट पर भी पार्टी ने नया चेहरा मैदान में उतारने का फैसला लिया है, क्योंकि पूर्व विधायक बीमा भारती अब विपक्षी दल में शामिल हो चुकी हैं।

चार जिलों में होगा बड़ा बदलाव, JDU की रणनीति पर नजर

जानकारों का कहना है कि भागलपुर, नवादा और बांका जिलों की चार सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवारों को बदलने का निर्णय लिया है। JDU का मानना है कि यह कदम क्षेत्रीय सक्रियता और जनसंतोष की कमी को दूर करने के लिए जरूरी था। एक वरिष्ठ नेता ने यह भी बताया कि जो विधायक क्षेत्र में सक्रिय नहीं थे या जिनके खिलाफ जनता में नाराजगी थी, उन्हें पुनः मौका नहीं दिया जाएगा।

NDA में सीट बंटवारे को लेकर हलचल तेज, LJP ने बढ़ाई मांगें

इस बार NDA गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भी हलचल देखने को मिल रही है। बीजेपी लगभग 102 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि JDU के खाते में 103 सीटें आ सकती हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने शुरुआत में 20 से 22 सीटों की मांग की थी, लेकिन अब पार्टी ने ज्यादा सीटों की मांग करना शुरू कर दिया है। वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को भी संतोषजनक संख्या में सीटें दिए जाने की संभावना है। HAM के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने स्पष्ट किया है कि अगर उनकी पार्टी को उचित सीटें नहीं मिलती हैं तो वे चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगी।

NDA गठबंधन में सीटों का अंतर्निहित समीकरण

एक वरिष्ठ BJP नेता के मुताबिक, गठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों की अंतिम सूची पर जल्द ही फैसला हो जाएगा। औपचारिक घोषणा कुछ ही दिनों में सामने आ सकती है। इस प्रक्रिया का असर न केवल पार्टियों के भीतर बल्कि बिहार की राजनीतिक दिशा पर भी गहरा होगा।