Up Kiran, Digital Desk: भारत में चुनाव सुधारों की लड़ाई का एक बड़ा चेहरा और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के संस्थापक सदस्य, प्रोफेसर जगदीप छोकर का आज सुबह 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके जाने से देश ने एक ऐसे सजग प्रहरी को खो दिया है, जिसने आम नागरिक को वोट देने की असली ताकत से रूबरू कराया।
IIM अहमदाबाद के डीन और प्रोफेसर रह चुके जगदीप छोकर उन लोगों में से थे, जिन्होंने भारत के लोकतंत्र को ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की नींव रखी। आज अगर हम अपने उम्मीदवार की संपत्ति, आपराधिक रिकॉर्ड और शिक्षा के बारे में एक क्लिक पर जान पाते हैं, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय प्रोफेसर छोकर और उनके साथियों द्वारा शुरू की गई लड़ाई को जाता है।
कैसे हुई ADR की शुरुआत?
1999 में, प्रोफेसर छोकर ने IIM के कुछ प्रोफेसरों और छात्रों के साथ मिलकर ADR की स्थापना की। यह एक ऐसा संगठन था, जिसका मकसद चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की पूरी जानकारी जनता तक पहुंचाना था। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसका नतीजा यह हुआ कि चुनाव आयोग को यह निर्देश देना पड़ा कि हर उम्मीदवार को नामांकन के समय अपनी संपत्ति, आपराधिक मामलों और शैक्षिक योग्यता का हलफनामा देना अनिवार्य होगा।
यह एक ऐतिहासिक फैसला था, जिसने भारतीय राजनीति में पारदर्शिता का एक नया अध्याय शुरू किया। आज एडीआर की रिपोर्ट चुनाव के समय हर मतदाता के लिए एक विश्वसनीय गाइड का काम करती है।
प्रोफेसर छोकर सिर्फ एक शिक्षाविद नहीं, बल्कि एक सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने अपना जीवन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया। उनका काम हमेशा हमें यह याद दिलाता रहेगा कि सिस्टम में बदलाव लाने के लिए एक अकेला, लेकिन दृढ़ इरादों वाला इंसान भी काफी होता है।
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