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देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। इस फैसले की जानकारी मिलते ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। सवाल उठने लगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया? खबरों के मुताबिक, उनके इस्तीफे से पहले दो केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें फोन किया था। अब यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या वही कॉल इस फैसले की वजह बनी?

सूत्रों की मानें तो दोनों मंत्रियों ने धनखड़ से कुछ खास राजनीतिक मामलों पर चर्चा की थी, जिससे वे असहज महसूस करने लगे। कहा जा रहा है कि उन्हें कुछ नीतिगत फैसलों को लेकर दबाव डाला जा रहा था। जगदीप धनखड़, जो अपनी स्पष्टवादिता और संविधानिक मर्यादाओं के लिए जाने जाते हैं, शायद इस दबाव को स्वीकार नहीं कर सके।

धनखड़ का राजनीतिक सफर लंबा रहा है। वे एक अनुभवी वकील, राज्यपाल और फिर उपराष्ट्रपति भी रहे। उन्होंने हमेशा संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा को प्राथमिकता दी है। यही कारण है कि जब उन्हें लगा कि उनके पद की गरिमा या स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है, तो उन्होंने पद छोड़ना बेहतर समझा।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, बल्कि इसके पीछे बड़ी राजनीतिक रणनीति भी हो सकती है। कुछ लोग इसे अगले लोकसभा चुनावों से जोड़कर भी देख रहे हैं।

फिलहाल, सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन इतना तय है कि धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ एक औपचारिक घटना नहीं, बल्कि आने वाले समय की बड़ी राजनीतिक हलचलों का संकेत भी हो सकता है।

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