
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका के अप्रत्याशित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) के फैसलों से निपटना एक जटिल चुनौती है, और इस पर पूर्व WTO राजदूत जयंत दासगुप्ता (Jayant Dasgupta) ने Moneycontrol की श्वेता पुंज (Shweta Punj) के साथ अपनी अंतर्दृष्टि साझा की है। डॉ. दासगुप्ता के अनुसार, ट्रम्प ने अपने लक्ष्यों को बहुत सावधानी से चुना है। जहाँ एक ओर उन्होंने चीन के साथ बातचीत की समय-सीमा बढ़ाई है, वहीं भारत पर लगाए गए टैरिफ की धमकी यह दर्शाती है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह गणना की है कि नई दिल्ली माल व्यापार (goods trade) के मामले में पलटवार (retaliate) नहीं कर सकती।
भारत की 'सीमित' प्रतिक्रिया क्षमता: स्थानीय उद्योग पर असर का डर
डॉ. दासगुप्ता का मानना है कि यदि भारत पलटवार करता है, तो इससे स्थानीय उद्योग अनुत्पादक (uncompetitive) हो सकता है। यह एक महत्वपूर्ण कारक है जो भारत की प्रतिक्रिया क्षमताओं को सीमित करता है।
भविष्य के प्रशासन भी पुराने फैसलों को नहीं पलटेंगे: भारतीय वार्ताकारों के लिए चेतावनी
इसके अलावा, भारतीय वार्ताकारों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे क्या वादा करते हैं, क्योंकि भविष्य के अमेरिकी प्रशासन व्यापार सौदे के हिस्से के रूप में सहमत पुनर्गठित टैरिफ को शायद ही पलटने (roll back) की संभावना रखते हैं। डॉ. दासगुप्ता ने समझाया कि यह एक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता की तरह हो सकता है।
भारत के पास टैरिफ के मामले में 'बहुत अधिक विकल्प नहीं': कृषि और डेयरी पर कोई रियायत नहीं
लेकिन भारत के पास टैरिफ के मामले में क्या विकल्प हैं? डॉ. दासगुप्ता कहते हैं, "बहुत अधिक नहीं", क्योंकि भारत पहले से ही औद्योगिक वस्तुओं पर शून्य टैरिफ (zero tariffs) लागू करता है और यह स्पष्ट कर चुका है कि कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों को खोला नहीं जा सकता। यह दर्शाता है कि भारत अपनी कुछ संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, भले ही इसका मतलब अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को सहन करना हो।
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