Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में, हमारे देश की राजनीति से एक अहम खबर सामने आई है, खास तौर पर पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों की सीमाओं से. कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (KLO) के प्रमुख, जिन्हें 'जीवन सिंह' के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने राजबंशी समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे 2026 के विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) को वोट न दें और एक बार फिर 'अलग राज्य' के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है.
आखिर क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जीवन सिंह लंबे समय से 'कामतापुर' नाम से एक अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं. यह प्रस्तावित राज्य असम और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया जाएगा. उनकी यह मांग मुख्य रूप से राजबंशी समुदाय की सांस्कृतिक पहचान और कथित रूप से उन्हें उपेक्षित किए जाने की भावनाओं पर आधारित है. उनका मानना है कि अलग राज्य बनने से उनके समुदाय का सही विकास हो पाएगा और उन्हें उनका हक मिलेगा.
अभी हाल ही में, एक नए वीडियो संदेश में जीवन सिंह ने राजबंशी समुदाय के लोगों से सीधा संपर्क साधा. उन्होंने उनसे कहा कि वे तृणमूल कांग्रेस के किसी भी नेता का साथ न दें, खासकर पंचायत चुनावों और आने वाले 2026 के विधानसभा चुनावों में. उन्होंने स्पष्ट रूप से टीएमसी को "विश्वासघाती पार्टी" बताया है.
क्यों उठाई जा रही है यह मांग और इसके क्या मायने हैं?
राजबंशी समुदाय की आबादी असम के कोकराझार, चिरांग, बक्सा, बंगाईगांव और धुबरी जिलों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, कूचबिहार, उत्तर दिनाजपुर और दक्षिण दिनाजपुर जिलों में भी काफी है. ऐसे में जीवन सिंह की यह अपील सिर्फ एक भावनात्मक बयान नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी हैं. उनका यह संदेश इस क्षेत्र की चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अलग राज्य की यह मांग आगामी चुनावों में टीएमसी और भाजपा दोनों के लिए सिरदर्द बन सकती है, क्योंकि दोनों पार्टियाँ इस समुदाय के वोटों को साधना चाहती हैं. इस बयान के बाद, इस क्षेत्र में राजनीतिक गहमागहमी और भी बढ़ने की उम्मीद है. अब देखना यह है कि राजबंशी समुदाय इस अपील पर कैसे प्रतिक्रिया देता है और इसका 2026 के चुनाव पर क्या असर होता है.



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