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Up Kiran, Digital Desk: लीड्स टेस्ट में इंग्लैंड की जोरदार जीत ने कई नए हीरो गढ़े। कोई बेन डकेट की आक्रामकता की बात कर रहा था, तो कोई जैक क्रॉली की संयमित ओपनिंग की। हैरी ब्रूक की फुर्तीली बैटिंग और ओली पोप की पहली पारी की सेंचुरी भी खूब सुर्खियों में रहीं। तेज गेंदबाज जोश टंग की धार ने भी विपक्ष को परेशान किया। लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा नाम था जो शायद सुर्खियों से दूर रहा – जो रूट।
शायद यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है – कम बोलते हैं, लेकिन जब बल्ला चलता है, तो विरोधी खेमे की नींद उड़ जाती है। लीड्स टेस्ट की दूसरी पारी में रूट ने बिना कोई शोर मचाए 53 रन की नाबाद पारी खेली और टीम को जीत की ओर पहुंचाया।
टीम इंडिया के लिए पुराना सिरदर्द
जो रूट को नजरअंदाज करना टीम इंडिया को भारी पड़ सकता है। उनकी पारी में कोई सनसनी नहीं थी, लेकिन उसमें स्थिरता थी, क्लास था और सबसे अहम – भरोसा था। और यह भरोसा वही है जो उन्होंने पहले भी भारत के खिलाफ कई बार दिखाया है। 2022 में एजबेस्टन टेस्ट किसे भूल सकता है? भारत ने इंग्लैंड के सामने चौथी पारी में 378 रन का लक्ष्य रखा था। शुरुआत में लग रहा था कि यह मुकाबला भारत की झोली में चला जाएगा, लेकिन फिर आए जो रूट।
173 गेंदों पर नाबाद 142 रन। पूरा स्टेडियम चुप और जो रूट का बल्ला बोलता रहा। जॉनी बेयरस्टो उनके साथ थे, लेकिन असली स्क्रिप्ट रूट ने ही लिखी थी। नतीजा – इंग्लैंड ने वह मैच जीत लिया और भारत सीरीज जीतने का सपना अधूरा छोड़ गया।
जो रूट के लिए भारत एक 'पसंदीदा शिकार'
रूट ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत 2012 में नागपुर में भारत के खिलाफ की थी और तब से मानो उन्होंने भारत को अपना सबसे प्यारा प्रतिद्वंद्वी मान लिया हो। आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं। इंग्लैंड में भारत के खिलाफ उनका औसत 75 से ऊपर है और बर्मिंघम में यह आंकड़ा 89 तक पहुंच जाता है।
बर्मिंघम में खेलते हुए:
9 टेस्ट मैच
920 रन
औसत: 70.76
8 बार 50+ स्कोर
भारत के खिलाफ इस मैदान पर उनके नाम दो शानदार पारियां दर्ज हैं – एक शतक और एक अर्धशतक। तेज गेंदबाजों को मिलने वाली बाउंस और सीम मूवमेंट को रूट जिस सहजता से खेलते हैं, वो किसी क्लासिकल टेस्ट बल्लेबाज की मिसाल पेश करता है।
क्या भारतीय रणनीति में रूट के लिए कोई खास प्लान होगा?
भारतीय गेंदबाजों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे रूट को शुरुआत में ही रोकें। उन्हें टिकने देने का मतलब है, उन्हें मैच जिताने देना। मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाजों को याद रखना होगा कि रूट को आउट करने के लिए सिर्फ गति नहीं, बल्कि सटीकता चाहिए। रूट कमजोरियों का नहीं, मौके का फायदा उठाने वाले बल्लेबाज हैं।
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