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Up Kiran, Digital Desk: सिविल सेवा परीक्षा का नाम सुनते ही कठिन परिश्रम, लंबी तैयारी और कोचिंग की महंगी फीस की तस्वीर सामने आती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की एक बेटी ने इस धारणा को तोड़ दिया है। दुगाना गांव की रहने वाली प्रतीक्षा त्रिपाठी ने बिना किसी कोचिंग और नौकरी के साथ संघर्ष करते हुए यूपी पीसीएस परीक्षा में 20वीं रैंक हासिल की और अब एसडीएम के पद पर चयनित हुई हैं।

वन अधिकारी से एसडीएम तक का सफर

प्रतीक्षा की कहानी किसी फ़िल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। उन्होंने वन विभाग में फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के रूप में नौकरी शुरू की, लेकिन मन में हमेशा बड़े प्रशासनिक पद तक पहुंचने की चाह रही। नौकरी संभालते हुए, सीमित समय में पढ़ाई करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी, मगर उन्होंने अपने लक्ष्य को कभी छोड़ा नहीं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

लहरपुर तहसील के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली प्रतीक्षा सात भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। परिवार ने आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों के बावजूद उनकी पढ़ाई को समर्थन दिया। आठवीं तक की पढ़ाई उन्होंने उसी स्कूल से की, जहां उनके पिता काम करते थे। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने सीतापुर के सेक्रेड हार्ट डिग्री कॉलेज में बीएससी में दाखिला लिया।

शिक्षा में निरंतर उत्कृष्टता

साल 2016 में प्रतीक्षा ने बीएससी की डिग्री हासिल की और कॉलेज टॉपर रहीं। पढ़ाई में उनकी मेहनत को देखते हुए तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। यह उपलब्धि उनके जीवन का अहम मोड़ साबित हुई।

बिना कोचिंग, सिर्फ आत्मविश्वास

जहां ज़्यादातर उम्मीदवार पीसीएस जैसी परीक्षा के लिए बड़े शहरों में कोचिंग पर निर्भर रहते हैं, प्रतीक्षा ने ऐसा कुछ नहीं किया। उन्होंने खुद ही रणनीति बनाई, नौकरी करते हुए समय निकाला और तैयारी पूरी की। साल 2022 की यूपी पीसीएस परीक्षा में उनका यह संघर्ष रंग लाया और उन्हें 20वीं रैंक हासिल हुई।

एक नई प्रेरणा

अब प्रतीक्षा का चयन डिप्टी कलेक्टर यानी एसडीएम पद के लिए हुआ है। उनकी जिद, आत्मविश्वास और मेहनत न सिर्फ सीतापुर बल्कि पूरे प्रदेश के युवाओं के लिए मिसाल है। प्रतीक्षा ने साबित किया है कि लक्ष्य कितना भी कठिन क्यों न हो, बिना संसाधनों के भी जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति से उसे हासिल किया जा सकता है।