Up Kiran, Digital Desk: दक्षिण कोरिया के इतिहास के सबसे हाई-प्रोफाइल मुकदमों में से एक अजीब सा नाटक देखने को मिल रहा है। देश के पूर्व राष्ट्रपति, यून सुक-योल पर 'विद्रोह' जैसे गंभीर मामले में मुकदमा चल रहा है, लेकिन वे सुनवाई के लिए कोर्ट ही नहीं आ रहे हैं।
यह कोई पहली या दूसरी बार नहीं है। यून लगातार 14वीं बार अपनी सुनवाई से गैरहाजिर रहे हैं। हर बार उनकी तरफ से कोर्ट को यही दलील दी जाती है कि उनकी 'सेहत ठीक नहीं है' और वे 'बहुत बीमार' हैं।
पूर्व राष्ट्रपति पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान तख्तापलट करने और विद्रोह भड़काने की साजिश रची थी। यह मामला इतना गंभीर है कि पूरे देश की नज़रें इस पर टिकी हुई हैं। लेकिन यून का बार-बार कोर्ट न आना अब इस पूरे मुकदमे पर सवाल खड़े कर रहा है और न्याय प्रक्रिया में देरी कर रहा है।
जज और अभियोजन पक्ष (prosecutors) इस बात से बेहद नाराज़ और निराश हैं। उनका कहना है कि यह न्याय का मज़ाक उड़ाने जैसा है। अदालत ने यून को कई बार चेतावनी भी दी है कि अगर वह पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया जा सकता है।
लेकिन यून के वकील हर बार किसी न किसी बीमारी का बहाना बनाकर उन्हें कोर्ट आने से बचा लेते हैं। यह मामला अब दक्षिण कोरिया में एक बड़ी बहस का मुद्दा बन गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या देश का कानून एक पूर्व राष्ट्रपति के सामने इतना बेबस है?
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