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Up Kiran, Digital Desk: देश की सबसे बड़ी अदालत के परिसर में मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जूता फेंकने की एक दुखद घटना ने न्यायपालिका (Judiciary) की सुरक्षा और गरिमा पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। इस घटना में चीफ़ जस्टिस (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ को निशाना बनाया गया था। अब इस पूरे घटनाक्रम पर जस्टिस बी.आर. गवई (Justice B.R. Gavai) ने न्यायालय के संयम और दृढ़ता को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण बयान दिया है।

जस्टिस गवई ने अपने हालिया सार्वजनिक संबोधन में कहा कि न्यायपालिका के लिए यह घटना अब एक 'बीता हुआ अध्याय' (A Forgotten Chapter) है।

न्यायालय का संयमित रुख: जस्टिस गवई के शब्दों ने न्यायपालिका के महान मूल्यों और संस्थागत (Institutional) गरिमा को सामने रखा है:

व्यक्ति नहीं, संस्था महत्वपूर्ण: उनका यह कहना साफ़ संदेश देता है कि न्यायपालिका, व्यक्तिगत द्वेष (Personal Enmity) या प्रतिशोध (Revenge) की भावना से काम नहीं करती। इस घटना को अब न्यायाधीशों ने अपने निजी दायरे से बाहर कर दिया है और एक संस्थान के रूप में आगे बढ़ने पर ध्यान केंद्रित किया है।

दोषियों पर न्यायिक कार्रवाई: जहाँ एक ओर न्यायाधीश इस घटना को भावनात्मक रूप से भूल चुके हैं, वहीं इसका मतलब यह नहीं है कि दोषियों के ख़िलाफ़ न्यायिक प्रक्रिया रुक गई है। कानूनी तौर पर, संबंधित वकील (जिसने हमला किया था) के ख़िलाफ़ ज़रूरी कार्रवाई की जा रही है (जैसा कि उस वकील को प्रैक्टिस से प्रतिबंधित कर दिया गया है)।

न्यायिक बिरादरी का यह रुख बहुत महत्वपूर्ण है। इसका सीधा संदेश है कि चाहे कुछ भी हो जाए, न्याय के मार्ग में कोई व्यक्तिगत भावना रुकावट नहीं डालेगी, और कोर्ट का काम अपने अनुशासन के अनुसार चलता रहेगा। जस्टिस गवई ने यह कहकर न सिर्फ़ कोर्ट की महानता दर्शाई है, बल्कि भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और पूरी न्यायिक प्रणाली को एक अप्रत्यक्ष भावनात्मक संबल (Emotional Support) भी दिया है।