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Up Kiran Digital Desk: समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद रामजीलाल सुमन के विरोध में नारेबाजी करना करणी सेना के कार्यकर्ता विवेक सिकरवार को भारी पड़ गया। सपा सांसद के काफिले को रोककर प्रदर्शन करने और पुलिस से झड़प के मामले में विवेक को हिरासत में लेने के बाद शांतिभंग की धाराओं में जेल भेज दिया गया। एसीपी कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
घटना शुक्रवार शाम की है, जब सपा सांसद रामजीलाल सुमन खेरागढ़ में शोक संवेदना व्यक्त करने के बाद लौट रहे थे। लौटते वक्त करणी सेना से जुड़े विवेक सिकरवार अचानक उनकी गाड़ी के सामने आ गए और विरोध में जमकर नारेबाजी की। सांसद का काफिला इस दौरान कुछ देर रुका रहा। मौके पर मौजूद पुलिस ने विवेक को समझाने की कोशिश की, लेकिन नारेबाजी जारी रही। स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए पुलिस ने विवेक को हिरासत में लिया।
थाना प्रभारी इंद्रजीत के अनुसार, विवेक को शुरू में थाने लाकर छोड़ दिया गया था। हालांकि, बाद में डीसीपी वेस्ट अतुल शर्मा के निर्देश पर उसे दोबारा थाने बुलाया गया और शांतिभंग की कार्रवाई करते हुए न्यायालय में पेश किया गया। एसीपी कोर्ट से जमानत न मिलने के बाद उसे जेल भेज दिया गया।
राजनीतिक विरोध और पुराना विवाद
यह पहली बार है जब रामजीलाल सुमन का विरोध करने वाले किसी करणी सेना कार्यकर्ता को जेल भेजा गया है। इससे पहले, 26 मार्च को करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सपा सांसद के निवास पर प्रदर्शन और कथित उपद्रव किया था। उस मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई थीं, हालांकि सभी कार्यकर्ताओं को उसी रात छोड़ दिया गया था।
सपा सांसद रामजीलाल सुमन के कथित विवादित बयान को लेकर क्षत्रिय संगठनों, विशेष रूप से करणी सेना, ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिए हैं। करणी सेना नेताओं का आरोप है कि यह कार्रवाई 'राजनीतिक दबाव' में की गई है, जबकि प्रशासन का कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह जरूरी था।
प्रशासन का पक्ष
पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि किसी भी नागरिक को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन यदि सार्वजनिक व्यवस्था भंग होती है या सुरक्षा को खतरा होता है, तो कार्रवाई करना अनिवार्य हो जाता है। डीसीपी अतुल शर्मा ने स्पष्ट किया कि "प्रदर्शन का तरीका शांति पूर्ण होना चाहिए। यदि कोई VIP मूवमेंट में व्यवधान डालता है और पुलिस निर्देशों की अनदेखी करता है, तो उस पर कानूनन कार्रवाई की जाती है।"
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