
Up Kiran, Digital Desk: करवा चौथ का व्रत हर शादीशुदा महिला के लिए बहुत ख़ास होता है। इस दिन वो अपने पति की लंबी उम्र के लिए बिना कुछ खाए-पिए पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात में चांद निकलने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर करवा चौथ पर महिलाएं छलनी से ही चांद क्यों देखती हैं? सीधे क्यों नहीं? चलिए, आज इस खूबसूरत परंपरा के पीछे छिपे राज़ को जानते हैं।
छलनी से चांद देखने की वजह क्या है: करवा चौथ पर छलनी से चांद देखने के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प और गहरी मान्यता छिपी हुई है।ऐसा माना जाता है कि जब एक पत्नी छलनी के हजारों छेदों से अपने पति के चेहरे को देखती है, तो वो भगवान से प्रार्थना करती है कि जैसे छलनी में अनगिनत छेद हैं, वैसे ही उसके पति को भी लंबी आयु का वरदान मिले और उनके रिश्ते को किसी की बुरी नज़र न लगे। यह परंपरा पति-पत्नी के अटूट रिश्ते और प्यार का प्रतीक मानी जाती है।
एक श्राप से भी जुड़ा है इसका रहस्य: एक और पुरानी कथा के अनुसार, चंद्रमा को उनकी खूबसूरती पर बहुत घमंड था और उन्होंने भगवान गणेश का मज़ाक उड़ाया था। इससे नाराज़ होकर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दे दिया था कि जो कोई भी उन्हें सीधे देखेगा, उस पर कोई झूठा कलंक लग जाएगा। करवा चौथ के दिन महिलाएं किसी भी तरह के अपशकुन से बचने के लिए सीधे चंद्रमा को नहीं देखतीं, बल्कि छलनी से उन्हें देखकर पूजा करती हैं।
यह भी माना जाता है कि छलनी के छेद से जब चांद की रोशनी छनकर आती है, तो वह सारे दोषों को दूर कर देती है और केवल पवित्र और शीतल किरणें ही पृथ्वी तक पहुंचती हैं, जो सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
तो अगली बार जब आप किसी महिला को करवा चौथ पर छलनी से चांद देखते हुए देखें, तो आपको पता होगा कि इस खूबसूरत रस्म के पीछे कितना गहरा मतलब और कितनी प्यारी भावना छिपी हुई है।