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Up Kiran, Digital Desk: शादी-ब्याह का सीजन हो या निवेश का मौका, सोना खरीदना हमारी ज़िंदगी का एक बड़ा फैसला होता है, जिसमें हमारी मेहनत की कमाई लगी होती है। हम अक्सर सोने की चमक और डिजाइन देखकर मोहित हो जाते हैं, लेकिन क्या हम कभी यह जानने की कोशिश करते हैं कि हम जो कीमत चुका रहे हैं, वो सही भी है या नहीं?

कई बार ज्वैलर के बिल में कुछ ऐसी छिपी हुई चीजें होती हैं, जो हमारी जेब पर भारी पड़ती हैं। इसलिए, एक जागरूक ग्राहक बनें और अगली बार सोना खरीदते समय इन 4 बातों को पत्थर की लकीर मानकर चलें:

1. सोने की शुद्धता (Purity) - हॉलमार्क ही असली पहचान है
सबसे पहली और जरूरी चीज है हॉलमार्क। आजकल हर सोने की ज्वैलरी पर एक हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन (HUID) नंबर होता है, जो उस गहने का 'आधार कार्ड' जैसा है। इस पर तीन चीजें देखें:

2. मेकिंग चार्ज - इसी में छिपा है सारा खेल
यह सोने की ज्वैलरी बनाने की मजदूरी होती है। यह हर ज्वैलर के यहां अलग-अलग होती है और सोने के दाम का 8% से लेकर 25% तक हो सकती है। याद रखें, मेकिंग चार्ज पर मोलभाव किया जा सकता है। इस पर छूट मांगने में बिल्कुल भी न शर्माएं, क्योंकि यहीं पर आप हजारों रुपए बचा सकते हैं।

3. सोने का सही वज़न (Net Weight)
अगर आपकी ज्वैलरी में कोई पत्थर, मोती या मीनाकारी का काम है, तो हमेशा बिल पर सोने का 'नेट वेट' यानी सिर्फ सोने का वजन अलग से लिखा हुआ देखें। कई बार ज्वैलर पूरे गहने के वजन पर सोने का भाव लगा देते हैं, जिससे आपको नुकसान होता है। आप सिर्फ सोने के वजन का पैसा दे रहे हैं, पत्थर का नहीं।

4. GST का गणित समझें
सोने की ज्वैलरी पर 3% जीएसटी (GST) लगता है। ध्यान दें कि यह GST सोने की कीमत और मेकिंग चार्ज, दोनों को जोड़ने के बाद कुल रकम पर लगाया जाता है। अपने बिल में इसे जरूर चेक करें।

थोड़ी सी समझदारी और इन चार बातों का ध्यान रखकर आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपकी मेहनत की कमाई सही जगह लग रही है और आपको आपके पैसे का पूरा मूल्य मिल रहा है।

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