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Up Kiran, Digital Desk: महर्षि वाल्मीकि जयंती के मौके पर पूरे देश ने आदिकवि को याद किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक, सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और भारतीय संस्कृति में उनके योगदान को सराहा।

कौन थे महर्षि वाल्मीकि: महर्षि वाल्मीकि को भारत का 'आदिकवि' यानी पहला कवि कहा जाता है। उन्होंने ही दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्यों में से एक 'रामायण' की रचना की थी। आज हम जिस भगवान श्री राम की कहानी सुनते और पढ़ते हैं, उसे सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि ने ही अपनी लेखनी से सजाया था।

लेकिन उनकी कहानी सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। माना जाता है कि अपने शुरुआती जीवन में वे एक डाकू थे, लेकिन बाद में उनका हृदय परिवर्तन हुआ और वे ज्ञान के मार्ग पर चल पड़े। उनका जीवन हमें सिखाता है कि कोई भी इंसान बदल सकता है और सही रास्ते पर लौट सकता है।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने क्या कहा?

वाल्मीकि जयंती पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि 'रामायण' ने हमें भगवान श्री राम की प्रेरणादायक कहानी के साथ-साथ आदर्श जीवन जीने का तरीका भी सिखाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महर्षि वाल्मीकि को याद करते हुए कहा कि उनके आदर्श विचारों का हमारे समाज पर गहरा असर पड़ा है।उन्होंने यह भी बताया कि जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ, तो उसके साथ ही महर्षि वाल्मीकि को समर्पित एक मंदिर भी बनाया गया।

रामायण क्यों है इतनी खास: रामायण सिर्फ एक किताब नहीं है, बल्कि यह सच्चाई, न्याय और सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है। यह हमें सिखाती है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी मुश्किल क्यों न हों, हमें हमेशा धर्म का पालन करना चाहिए। गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे कई और नेताओं ने भी कहा कि रामायण आज भी हमारे समाज का मार्गदर्शन करती है।

महर्षि वाल्मीकि जयंती हमें हर साल याद दिलाती है कि ज्ञान और अच्छे विचार किसी भी व्यक्ति के जीवन को बदल सकते हैं। उनका जीवन और उनकी रचना 'रामायण' हमेशा हमारी संस्कृति का एक अटूट हिस्सा बनी रहेगी।