Waqf Board: वक्फ संशोधन बिल पर चल रही बहस के बीच कई मीडिया संस्थान ने वक्फ बोर्ड के दावों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है, ऐसे में आज हम आपको हिंदू और सार्वजनिक संपत्तियों पर वक्फ के अवैध दावों की जमीनी हकीकत बता रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे वक्फ बोर्ड ने ऐतिहासिक धरोहरों पर भी अपना दावा ठोका है, जिनमें से कई इस्लाम के अस्तित्व में आने से भी पहले की हैं।
दिल्ली वक्फ बोर्ड के एक दस्तावेज की कॉपी के अनुसार वक्फ ने दिल्ली में 156 संपत्तियों के स्वामित्व का दावा किया है, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित हैं, और आरोप लगाया है कि एएसआई ने इन संपत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।
इस दस्तावेज के क्रमांक 90 पर दिल्ली वक्फ बोर्ड का दावा है कि विश्व धरोहर स्थल, हुमायूं का मकबरा उसकी निजी संपत्ति है, हालांकि यह ऐतिहासिक स्मारक एएसआई द्वारा संरक्षित है।
इसके अलावा, क्रमांक 122 पर वक्फ बोर्ड कुतुब मीनार परिसर में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के स्वामित्व का दावा करता है। इतना ही नहीं, वक्फ बोर्ड कुतुब मीनार परिसर में प्राचीन अशोक स्तंभ पर भी अपनी संपत्ति होने का दावा करता है।
अब आपको वक्फ से जुड़ा एक और मामला बताते हैं। भोपाल में एक विशाल इमारत वक्फ कॉम्प्लेक्स है, जो सरकारी जमीन पर बनी है और वक्फ ने इस पर अतिक्रमण किया है। हालांकि, भोपाल की तहसीलदार कोर्ट ने इस मामले में वक्फ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। कोर्ट के आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि वक्फ ने शहर के बीचों-बीच 27,000 वर्ग फीट सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण किया है। इस जमीन की कीमत ही 30 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
कोर्ट ने अब आदेश दिया है कि वक्फ बोर्ड को उस सरकारी जमीन के मौजूदा बाजार मूल्य से 20% अधिक भुगतान करना होगा जिस पर उसने निर्माण किया है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड को सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण को गिराने का खर्च भी उठाना होगा।
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