
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की। यह टैरिफ 1 अगस्त से लागू होगा और इसका सीधा असर ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रत्न-आभूषण जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर पड़ेगा।
इस फैसले के पीछे अमेरिका की दलील है कि भारत द्वारा रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद वैश्विक प्रतिबंधों के खिलाफ है। हालांकि भारत ने यह स्पष्ट किया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक हितों से समझौता नहीं करेगा।
सरकारी प्रतिक्रिया और रणनीति:
भारत सरकार ने इस कदम को अनुचित बताते हुए कहा है कि वह इस फैसले को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चुनौती देने पर विचार कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत प्रतिशोध स्वरूप कुछ अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा सकता है। साथ ही, अमेरिका के साथ कूटनीतिक बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की कोशिश भी जारी है।
व्यापार पर संभावित असर:
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत का कुल निर्यात 3–4% तक प्रभावित हो सकता है। लेकिन यह असर अल्पकालिक हो सकता है यदि भारत निर्यात का रुख अन्य बाजारों (जैसे यूरोप, खाड़ी देश, अफ्रीका) की ओर मोड़ने में सफल रहता है।
विकल्प और राहत की संभावनाएं:
भारत ‘जीरो-फॉर-जीरो’ टैरिफ मॉडल के तहत अमेरिका से बातचीत कर सकता है, जहां दोनों देश कुछ उत्पादों पर शुल्क पूरी तरह खत्म कर देंगे। इसके अलावा, भारत तेजी से मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर काम कर रहा है ताकि नए बाजारों तक पहुंच बनाई जा सके।
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