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Israel Iran Conflict: ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच टकराव कभी भी युद्ध का कारण बन सकता है। ऐसी आशंका थी कि हमास प्रमुख हनियेह और हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह की हत्या के बाद ही ईरान इजराइल से बदला लेगा। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इसके बाद इजराइल ने भी चेतावनी दी है कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। ईरान और इजराइल के बीच बढ़ता तनाव भारत के लिए चिंता का विषय है। ये मध्य पूर्व के दो देश हैं जिनके साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। मगर जब बात सबसे खास और सबसे जरूरी बात आती है तो इजराइल आगे आता है।

पिछले 5 वर्षों में भारत और इज़राइल के बीच व्यापार दोगुना हो गया है मगर इसी अवधि के दौरान ईरान और भारत के बीच व्यापार में गिरावट आई है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि व्यापार में बढ़ोतरी दोनों देशों के बीच संबंधों की मजबूती का प्रमाण है।

इजराइल ने कभी भी भारत के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया या भारत के किसी फैसले पर सवाल नहीं उठाया। मगर ईरान के साथ ऐसा बार-बार करते देखा गया है। पिछले महीने ही ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने भारत में मुसलमानों को लेकर चिंता व्यक्त की थी।

उन्होंने भारत को मुस्लिम अधिकारों का हनन करने वाले देशों में शामिल किया। खामेनेई ने जब भारत पर मुसलमानों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया तो उन्होंने भारत को म्यांमार और गाजा के साथ ही गिना दिया। उनके इस बयान पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि भारत को पहले अपना रिकॉर्ड देखना चाहिए।

इसके अलावा ईरान ने 2020 के दिल्ली दंगों पर भी बयान दिया और दंगों को मुसलमानों का नरसंहार बताया। खामेनेई ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। हम कश्मीर में मुसलमानों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, "भारत के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं, मगर हमें उम्मीद है कि भारत सरकार कश्मीर के लोगों के प्रति सही नीति अपनाएगी और क्षेत्र में मुसलमानों पर अत्याचार रोकेगी।"

भारत ने 1992 में इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। इसके बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत हुए हैं। इस अवधि में कारोबार में काफी वृद्धि हुई। 1992 में जो लगभग 200 मिलियन डॉलर का कारोबार था वह वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 10।7 बिलियन डॉलर हो गया है। पिछले चार वर्षों में यह तेजी से बढ़ा है। 2022-23 में इज़राइल को भारत का निर्यात 8।45 बिलियन डॉलर था। इज़राइल से आयात 2।3 बिलियन डॉलर था। 2022-23 में इज़राइल भारत का 32वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जिसका भारत के कुल व्यापार में 0।92 प्रतिशत हिस्सा था।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत एशिया में इज़राइल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और वैश्विक स्तर पर सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इस समय इजराइल में करीब 18 हजार भारतीय हैं। 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी ने 2017 में इजरायल का दौरा किया था। वह इज़राइल की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री थे। इज़राइल और भारत वर्षों से आतंकवाद विरोधी और रक्षा मुद्दों पर एक साथ काम कर रहे हैं, और भारत यहूदी राज्य से हथियार खरीद रहा है।

इजराइल और भारत के बीच गहरी दोस्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने इजराइल का दौरा किया तो बेंजामिन नेतन्याहू ने उनका उच्च स्तरीय रेड कार्पेट स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी जहां भी दौरे पर गए नेतन्याहू उनके साथ गए। भारतीय प्रधानमंत्री के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जैसा ही व्यवहार किया गया।

जिस प्रकार इजराइल महत्वपूर्ण है, उसी प्रकार ईरान भी भारत के लिए महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक रूप से भारत के ईरान के साथ भी अच्छे संबंध हैं। दोनों के बीच मजबूत कारोबारी रिश्ते हैं। भारत ने हाल ही में ईरान में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह पर 10 वर्षों के लिए नियंत्रण अधिकार हासिल कर लिया है, खासकर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के निर्माण के क्षेत्र में। इसके साथ ही भारतीय कंपनियां ईरान से सस्ता तेल खरीदती हैं।

ईरान और इजराइल की लड़ाई में भारत पर होगा ये असर

ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव का असर कच्चे तेल पर पड़ेगा। भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करता है और इसकी कुल खपत का 7 प्रतिशत सऊदी अरब, कुवैत और इराक से आता है। ऐसे में ये युद्ध भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। कच्चे तेल के अलावा भारत और इजराइल के बीच अरबों डॉलर का हथियारों का व्यापार होता है। जो इस युद्ध से प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान और इजराइल के बीच टकराव का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।

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