img

Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग (BC) आरक्षण के मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है! मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में तेलंगाना कांग्रेस के नेता गुरुवार को 'चलो राष्ट्रपति भवन' मार्च का आयोजन करेंगे, यदि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें तेलंगाना के ओबीसी आरक्षण विधेयकों पर मिलने का समय नहीं देती हैं. पार्टी सूत्रों के अनुसार, नेताओं को अब भी राष्ट्रपति से मुलाकात की उम्मीद है, लेकिन अगर उन्हें मिलने से मना किया जाता है, तो अगला कदम राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास की ओर मार्च करना होगा.

राष्ट्रपति से सीधी टक्कर? तेलंगाना कांग्रेस का 'चलो राष्ट्रपति भवन' ऐलान!

तेलंगाना सरकार ने शिक्षा, रोजगार और स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्गों के लिए 42% आरक्षण का प्रावधान करने वाले दो अहम विधेयक पारित किए हैं. ये विधेयक मार्च में तेलंगाना विधानसभा द्वारा पारित किए गए थे और राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे गए थे, लेकिन चार महीने से अधिक समय से लंबित हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार जानबूझकर इन विधेयकों को लटका रही है और राष्ट्रपति पर दबाव डाल रही है कि वे कांग्रेस नेताओं को मिलने का समय न दें. रेवंत रेड्डी ने स्पष्ट कहा है कि भाजपा "पिछड़ा वर्ग विरोधी" है.

क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रोकेंगी आरक्षण का रास्ता? रेवंत रेड्डी की बड़ी रणनीति!

पार्टी के एक पिछड़ा वर्ग नेता ने दिल्ली में बताया, "अगर राष्ट्रपति से मुलाकात नहीं होती है, तो हमारी अगली योजना दबाव बढ़ाना होगी. हम राष्ट्रपति भवन पर धरना देंगे. 'चलो राष्ट्रपति भवन' राष्ट्रीय राजधानी में बीसी आरक्षण के मुद्दे को उजागर करने का अगला कदम होगा." रेवंत रेड्डी और तेलंगाना के अन्य कांग्रेस नेता पहले ही दिल्ली के जंतर मंतर पर 42% ओबीसी आरक्षण विधेयक पर राष्ट्रपति की मंजूरी की मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन कर चुके हैं. इस प्रदर्शन में तेलंगाना के मंत्री, कांग्रेस विधायक, सांसद और सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे.

इस बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, जो शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में शामिल होने के कारण जंतर मंतर पर हुए महाधरने में शामिल नहीं हो सके, उन्होंने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से तेलंगाना के आरक्षण विधेयकों को अपनी सहमति देने का आग्रह किया है. राहुल गांधी ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, “तेलंगाना सरकार और कांग्रेस ने आज दिल्ली में धरना दिया, जिसमें राष्ट्रपति से शिक्षा, रोजगार और स्थानीय सरकार में पिछड़े वर्गों के लिए 42% आरक्षण वाले कानून को अपनी सहमति देने की मांग की गई. यह कानून जाति जनगणना के आंकड़ों पर आधारित, सामाजिक न्याय के संविधान के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने वाला एक बड़ा कदम है.”उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह लड़ाई सिर्फ तेलंगाना के लिए नहीं है, बल्कि “हाशिए पर पड़े समुदायों के भारतीयों को सत्ता और प्रगति में उनका वाजिब हिस्सा दिलाने के लिए एक सामूहिक लड़ाई है.

यह विधेयक तेलंगाना सरकार द्वारा किए गए जाति सर्वेक्षण के बाद तैयार किया गया है, जिसने राज्य की ओबीसी आबादी की जनसांख्यिकीय शक्ति को उजागर किया है. इस विधेयक का उद्देश्य पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा, नौकरियों और स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण को 27% से बढ़ाकर 42% करना है.

तेलंगाना में आरक्षण की आग, दिल्ली तक पहुंचा धुआं! अब राष्ट्रपति भवन पर निगाहें!

तेलंगाना कांग्रेस का यह कदम पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का एक बड़ा प्रयास है ताकि इन महत्वपूर्ण विधेयकों को जल्द से जल्द मंजूरी मिल सके. तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने कहा कि यह मामला ओबीसी समाज से जुड़ा है और उनकी सरकार ने विधानसभा में यह बिल पास कर राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति को भेजा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति इसे जल्द मंजूरी देंगी ताकि आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों और शिक्षा के क्षेत्र में इस कानून को लागू किया जा सके.

इतिहास रचने निकला तेलंगाना! क्या पिछड़े वर्ग को मिलेगा उनका हक?

विपक्षी 'INDIA' गठबंधन के कई नेताओं ने भी इस मुद्दे पर तेलंगाना कांग्रेस का समर्थन किया है. डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने जंतर मंतर पर धरने में कहा कि न्याय की कोई सीमा नहीं होती और तमिलनाडु में पहले से ही 69% आरक्षण है. उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार का यह कदम "सदियों से हो रही गलतियों को बदलने की कोशिश" है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने यह भी दावा किया है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 42% बीसी कोटा की मांग को स्वीकार नहीं करते हैं, तो वे उन्हें अगले चुनाव में हरा देंगे और राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाएंगे ताकि इस आरक्षण को लागू किया जा सके.न्याय की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसका सीधा असर लाखों पिछड़े वर्ग के लोगों के भविष्य पर पड़ेगा

--Advertisement--