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भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच सालों से लंबित पड़ा मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement - FTA) अब अपने अंतिम दौर में पहुंचता दिख रहा है। इस 'महा-डील' को हकीकत में बदलने के लिए भारत के वाणिज्य मंत्री, पीयूष गोयल, इस समय जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हैं, जहां वह इस समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के लिए जोर-शोर से लगे हुए हैं।

बर्लिन में क्या कर रहे हैं पीयूष गोयल?

पीयूष गोयल का यह दौरा दो बड़े मकसदों को लेकर है। पहला, वह जर्मनी के बड़े मंत्रियों और अधिकारियों पर इस बात के लिए दबाव बना रहे हैं कि वे भारत-ईयू एफटीए को जल्द से जल्द पास करने में मदद करें। दूसरा, वह जर्मनी की मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू, और सीमेंस जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। वह उन्हें बता रहे हैं कि आज का भारत, व्यापार करने के लिए दुनिया की सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है।

क्या है यह 'महा-डील' और क्यों है यह इतनी जरूरी?

यह सिर्फ एक सामान्य समझौता नहीं है, बल्कि एक ऐसा 'गेम चेंजर' है जो भारत और यूरोप, दोनों की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।

भारत को क्या फायदा? इस डील के बाद भारत में बने कपड़े, दवाइयां, इंजीनियरिंग का सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी चीजें बिना किसी भारी टैक्स के यूरोप के अमीर बाजारों में बिक सकेंगी। इससे 'मेक इन इंडिया' अभियान को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा और देश में लाखों नई नौकरियां पैदा होंगी।

यूरोप को क्या फायदा? यूरोप की कंपनियां भारत के 140 करोड़ लोगों के विशाल बाजार में आसानी से अपना सामान बेच सकेंगी और यहां निवेश कर सकेंगी।

भारत को एक भरोसेमंद साथी की तरह देख रही है दुनिया

पीयूष गोयल दुनिया को यह संदेश दे रहे हैं कि आज का भारत एक स्थिर और तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। ऐसे समय में जब दुनिया की सप्लाई चेन में उथल-पुथल मची हुई है, भारत एक भरोसेमंद साथी के रूप में उभर रहा है।

अगर पीयूष गोयल का यह मिशन सफल होता तो यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा, जिसका फायदा आने वाले कई सालों तक देश के कारोबारियों, किसानों और युवाओं को मिलेगा।