img

Up Kiran, Digital Desk: समंदर की लहरें शांत दिखती हैं, लेकिन उनकी गहराई में आज दुनिया की सबसे बड़ी रणनीतिक और आर्थिक जंग लड़ी जा रही है। इसी जंग के बीच, भारत ने अपनी भूमिका और अपने इरादे पूरी दुनिया के सामने साफ कर दिए हैं।

क्या है पूरा मामला: हाल ही में इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (Indo-Pacific Regional Dialogue) 2025 का आयोजन हुआ। यह एक बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय मंच है, जहां दुनिया भर के नौसेना प्रमुख और विशेषज्ञ हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र की सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में, भारत के नौसेना प्रमुख ने एक ऐसा भाषण दिया, जिसे पूरी दुनिया ने बहुत ध्यान से सुना।

भारत ने क्या कहा दुनिया से: भारतीय नौसेना प्रमुख ने किसी देश का नाम लिए बिना, लेकिन बहुत ही कड़े शब्दों में कहा कि अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक सुरक्षित समुद्री व्यवस्था (Safer Maritime Order) स्थापित करने का समय आ गया है।

इसे आसान भाषा में समझें तो, उनका संदेश था:

अब 'जिसकी लाठी, उसकी भैंस' नहीं चलेगी: समंदर किसी एक देश की जागीर नहीं है। यहां अंतरराष्ट्रीय कानूनों का राज होना चाहिए, न कि किसी एक देश की मनमानी।

सबको मिलकर काम करना होगा: समुद्री लुटेरों, तस्करी और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से कोई एक देश अकेले नहीं लड़ सकता। इसके लिए सभी देशों को एक साथ आना होगा।

व्यापार के लिए चाहिए सुरक्षा: यह क्षेत्र दुनिया के व्यापार का सबसे बड़ा समुद्री मार्ग है। अगर यहां शांति और सुरक्षा नहीं होगी, तो इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

भारत की भूमिका: हम हैं 'शांति के पहरेदार'

इस भाषण के जरिए भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह इस क्षेत्र में सिर्फ एक मूक दर्शक बनकर नहीं रहेगा। भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक 'जिम्मेदार शक्ति' और 'शांति का पहरेदार' बनने के लिए पूरी तरह से तैयार है। भारत का विजन SAGAR (Security and Growth for All in the Region) यानी "सबकी सुरक्षा और सबका विकास" है।