Up kiran,Digital Desk : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम के बीच लंबे समय से टल रही पहली आमने-सामने की मुलाकात आखिरकार होने जा रही है। लेकिन इस बैठक में सबसे हैरानी की बात इसका एजेंडा है। ट्रंप के लिए हमेशा से सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर और अवैध अप्रवासन इस बैठक का मुख्य विषय नहीं है। इसके बजाय, दोनों नेता 2026 फुटबॉल वर्ल्ड कप, व्यापार और टैरिफ जैसे मुद्दों पर बात करेंगे।
यह मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि शीनबाम के सत्ता में आने के 10 महीने बाद यह हो रही है, जबकि आमतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति अपने पड़ोसी देश मैक्सिको के नेता से बहुत जल्दी मुलाकात करते हैं।
वर्ल्ड कप का बहाना, असली निशाना कुछ और
दोनों नेताओं की यह मुलाकात 2026 फुटबॉल वर्ल्ड कप के ड्रॉ के बहाने हो रही है, जिसकी मेजबानी अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा मिलकर कर रहे हैं। लेकिन पर्दे के पीछे असली एजेंडा कुछ और ही है। राष्ट्रपति शीनबाम का मुख्य फोकस अमेरिका द्वारा मैक्सिको के ऑटोमोबाइल, स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए टैरिफ को हटवाना है। वहीं, ट्रंप प्रशासन भी अपनी व्यापारिक शर्तों पर बात करना चाहता है।
क्यों बदला खेल? अब इमिग्रेशन नहीं, व्यापार है मुद्दा
- अवैध घुसपैठ में भारी कमी: ट्रंप प्रशासन की सख्त नीतियों के कारण मैक्सिको बॉर्डर से होने वाली अवैध घुसपैठ में भारी गिरावट आई है, जिससे यह मुद्दा फिलहाल थोड़ा ठंडा पड़ गया है।
- व्यापारिक साझेदारी: आज मैक्सिको, चीन को पछाड़कर अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है। ऐसे में आर्थिक मुद्दे दोनों देशों के लिए पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।
ट्रंप को साधने में माहिर हैं शीनबाम
भले ही दोनों नेताओं की सीधी मुलाकात में देरी हुई हो, लेकिन फोन पर उनके बीच लगातार बातचीत होती रही है। माना जाता है कि शीनबाम, ट्रंप के साथ संबंधों को संभालने में काफी माहिर हैं। जब ट्रंप ने मजाक में 'मैक्सिको की खाड़ी' का नाम बदलकर 'अमेरिका की खाड़ी' रखने की बात कही, तो शीनबाम ने भी मजाकिया अंदाज में जवाब दिया कि अगर ऐसा है तो पूरे उत्तरी अमेरिका का नाम ही 'अमेरिका मैक्सिकाना' रख देना चाहिए। उन्होंने ट्रंप के हर विवादित बयान पर समझदारी से प्रतिक्रिया दी और विवाद को बढ़ने से रोका।
लेकिन इन मुद्दों पर बरकरार है तनाव
हालांकि मुलाकात का माहौल सकारात्मक रखने की कोशिश है, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव के कई मुद्दे मौजूद हैं:
- टैरिफ का डर: मैक्सिको की धीमी अर्थव्यवस्था के लिए ट्रंप की 25% टैरिफ लगाने की धमकी एक बड़ा खतरा है। अगर यह लागू हुआ तो मैक्सिको को भारी नुकसान हो सकता है।
- निर्वासन अभियान: ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका के कई शहरों में अवैध प्रवासियों को देश से निकालने का अभियान छेड़ रखा है। इससे अमेरिका में सालों से रह रहे लाखों मैक्सिकन नागरिक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
- ड्रग्स और सुरक्षा: फेंटानिल ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिए अमेरिका का मैक्सिको पर भारी दबाव है। हालांकि, शीनबाम सरकार ने कई ड्रग्स तस्करों को अमेरिका को सौंपा है, लेकिन ट्रंप प्रशासन इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं है।
संक्षेप में, यह बैठक दिखाती है कि अब अमेरिका और मैक्सिको के रिश्ते सिर्फ बॉर्डर की दीवार और इमिग्रेशन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक साझेदार के रूप में विकसित हो रहे हैं।
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