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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड में पंचायत चुनावों की सरगर्मी चरम पर है और 24 जुलाई को होने वाले मतदान से पहले हर प्रत्याशी आखिरी दम तक मतदाताओं को लुभाने में जुटा है। लेकिन इन सभी उम्मीदवारों में एक नाम ऐसा है, जो न सिर्फ अपने अंदाज बल्कि अपनी कद-काठी के कारण भी सुर्खियों में है — बागेश्वर जिले से मैदान में उतरे लक्ष्मण कुमार, जिन्हें लोग प्यार से "पहाड़ी लच्छू" कहते हैं।

कला से राजनीति तक का सफर

पहाड़ी लच्छू का यह पहला राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनकी लोकप्रियता किसी अनुभवी नेता से कम नहीं। लोकगायन और हास्य अभिनय के ज़रिए दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाले लच्छू ने अब गांव की समस्याओं के हल के लिए मंच से मैदान तक का सफर तय किया है। लंबे समय से पहाड़ी गीतों में अपनी एक्टिंग और कॉमेडी के ज़रिए लोगों को हंसाने वाले लच्छू अब उसी जोश के साथ विकास का वादा लेकर जनता के बीच हैं।

वोट मांगने का देसी अंदाज़

जहां अधिकतर उम्मीदवार भाषणों और वादों के सहारे वोट मांगते हैं, वहीं लच्छू ने गांव-गांव जाकर नाच-गाकर और मनोरंजन करते हुए चुनाव प्रचार का अलग ही रंग जमा दिया है। उनकी रचनात्मक शैली और देसी ठाठ-बाट ने चुनाव को न सिर्फ दिलचस्प बनाया, बल्कि उन्हें आम जनता, खासकर महिलाओं और युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया। प्रचार के दौरान कई महिलाएं उनके साथ रील बनाते हुए भी दिखीं — यह नज़ारा बताता है कि लच्छू सिर्फ वोट ही नहीं, दिल भी जीत रहे हैं।

कठिनाइयों से नहीं डरते लच्छू

हालांकि उनकी 3.5 फीट की लंबाई पहाड़ी रास्तों पर चलने में चुनौती जरूर बनती है, मगर उनका जज़्बा कहीं से कम नहीं। कभी बाइक पर, तो कभी घोड़े की सवारी कर वे दूर-दराज के गांवों तक पहुंच रहे हैं। उनके मुताबिक, ऊंचाई भले ही कम हो, लेकिन हौसले आसमान छूते हैं।

टीवी से निकलकर ज़मीन पर

पहाड़ की जनता, जिन्होंने लच्छू को अब तक मोबाइल स्क्रीन या टीवी पर देखा था, अब उन्हें अपने गांव में सामने देखकर खासा उत्साहित है। कई जगहों पर लोग उन्हें देखकर ठहाके लगाते हैं और उनका स्वागत करते हैं। यह जुड़ाव सिर्फ मनोरंजन की वजह से नहीं, बल्कि इसलिए भी है कि लोग उनके इरादों में ईमानदारी देख रहे हैं।

बिना वादों की राजनीति

लच्छू ने साफ कहा कि वे राजनीति में नाम या पद के लिए नहीं आए, बल्कि अपने इलाके की बदहाली को देखकर उन्होंने बदलाव की ठानी है। "झूठे वादे करने की मेरी आदत नहीं," कहते हैं लच्छू, "मैं जितना कहूंगा, उससे ज़्यादा करके दिखाऊंगा।" वे क्षेत्र पंचायत सदस्य बनने के बाद ब्लॉक प्रमुख के लिए भी आवेदन करने की योजना में हैं।

जनता का मूड बदला?

जहां बाकी प्रत्याशी केवल भाषणों से बात बना रहे हैं, पहाड़ी लच्छू ने अपने व्यवहार, मेहनत और जुड़ाव से एक अलग मिसाल कायम की है। उनके प्रचार अभियान से यह साफ झलकता है कि राजनीति में भी बदलाव की बयार बह रही है — अब जनता मनोरंजन ही नहीं, ईमानदारी और जज़्बा भी देखती है।

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