Up Kiran, Digital Desk: झारखंड सरकार ने हाल ही में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य सरकार ने आलिम और फाजिल डिग्रियों को अब सरकारी नौकरियों के लिए मान्यता दे दी है। इस फैसले ने राज्य के मुस्लिम युवाओं के बीच खुशी की लहर दौड़ा दी है, क्योंकि इन डिग्रियों के धारक अब सरकारी सेवा में आवेदन कर सकेंगे। यह फैसला उन लाखों मुस्लिम छात्रों के लिए खास है, जो लंबे समय से नौकरी के अवसरों के लिए संघर्ष कर रहे थे।
मुस्लिम युवाओं को मिलेगा अवसर
आलिम और फाजिल डिग्रियां, जो मदरसा शिक्षा के अंतर्गत प्राप्त होती हैं, अब राज्य में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के समकक्ष मानी जाएंगी। इन डिग्रियों में न केवल इस्लामी शिक्षा बल्कि अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी और हिंदी जैसी भाषाओं का अध्ययन भी किया जाता है। इससे मदरसा शिक्षा को नई पहचान मिलेगी और इसे मुख्यधारा में शामिल किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बढ़ी चिंता
यह महत्वपूर्ण निर्णय तब आया जब 2023 में सहायक आचार्य भर्ती में आलिम और फाजिल डिग्रीधारियों की नियुक्तियों पर रोक लग गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, उनके दस्तावेज़ों का सत्यापन न होने से सैकड़ों उम्मीदवारों का भविष्य अनिश्चित हो गया था। इस स्थिति से चिंतित होकर झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हिदायतुल्लाह खान ने सरकार से इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने की अपील की थी। उनका मानना था कि इस फैसले से मुस्लिम समुदाय के छात्रों के अवसर सीमित हो जाएंगे।
सरकार का प्रभावी कदम
झारखंड सरकार ने इस मामले में तुरंत सकारात्मक कदम उठाया और आलिम और फाजिल डिग्रियों को सरकारी नौकरियों में मान्यता दे दी। अब, इन डिग्रियों के धारक बिना किसी रुकावट के सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे और अपनी योग्यता के आधार पर नियुक्तियां प्राप्त कर सकेंगे। यह निर्णय शिक्षा के विविध रूपों को समान महत्व देने का प्रतीक है, जिससे कोई भी योग्य उम्मीदवार अपनी शैक्षिक पृष्ठभूमि के कारण अवसरों से वंचित न रहे।
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