Up kiran,Digital Desk : जी20 जैसे बड़े मंचों पर एक पुरानी परंपरा है। जब एक देश अपनी अध्यक्षता पूरी करता है, तो वह अगले अध्यक्ष देश के सबसे बड़े नेता को ही इसकी कमान सौंपता है। लेकिन इस बार कहानी में एक नया मोड़ आ गया है। अमेरिका को जी20 की अगली अध्यक्षता संभालनी है, पर वहां के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका जाने से मना कर दिया है।
आखिर क्यों बढ़ा ये विवाद?
असल में, डोनाल्ड ट्रंप काफी समय से दक्षिण अफ्रीका को लेकर कुछ ऐसी बातें कह रहे हैं जो वहां की सरकार को पसंद नहीं आ रहीं। जब यह साफ हो गया कि ट्रंप जी20 सम्मेलन में नहीं आएंगे, तो दोनों देशों के बीच पहले से चल रहा तनाव और गहरा हो गया।
इस पूरे मामले में दक्षिण अफ्रीका ने भी अपना इरादा साफ़ कर दिया है। उसका कहना है कि जी20 की अध्यक्षता कोई छोटी-मोटी चीज़ नहीं है, जिसे किसी भी जूनियर अमेरिकी अधिकारी के हवाले कर दिया जाए। यह फैसला तब आया जब व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को अमेरिका और ट्रंप के खिलाफ बोलने से बचने की सलाह दी, जिसे दक्षिण अफ्रीका ने एक चेतावनी की तरह देखा।
हम किसी छोटे अधिकारी को कमान नहीं सौंपेंगे
जब ट्रंप ने जी20 में आने का इरादा छोड़ा, तो अमेरिका ने कहा कि वह अध्यक्षता लेने के लिए आठ लोगों की एक टीम भेज रहा है, जिसका नेतृत्व एक राजनयिक करेंगे। शुरू में तो राष्ट्रपति रामाफोसा ने इस पर नरम रुख दिखाया, लेकिन कुछ ही देर बाद उनके प्रवक्ता ने साफ़ कह दिया कि राष्ट्रपति किसी जूनियर अधिकारी को अध्यक्षता सौंपकर परंपरा नहीं तोड़ेंगे।
उनके प्रवक्ता ने मीडिया से कहा, "सोचिए, क्या दुनिया का कोई भी बड़ा नेता ऐसा करेगा? यह नियमों के खिलाफ है और राष्ट्रपति ऐसा हरगिज़ नहीं करेंगे।"
बात सिर्फ आने-जाने की नहीं, सम्मान की है
दक्षिण अफ्रीका की नाराज़गी व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव के उस बयान से भी है, जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति को अमेरिका और ट्रंप के खिलाफ न बोलने की बात कही थी। कई लोग इसे राष्ट्रपति का अपमान मान रहे हैं।
वहीं, ट्रंप लगातार यह दावा करते रहे हैं कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। हालांकि, वहां की सरकार और खुद स्थानीय श्वेत नेता भी इन बातों को गलत बता चुके हैं।
मंगलवार को भी ट्रंप ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से मिलने के बाद कहा, "मैं दक्षिण अफ्रीका इसलिए नहीं जा रहा क्योंकि वहां लोगों को खत्म करने की जो नीतियां चल रही हैं, वे हमें मंजूर नहीं हैं।"
अब दक्षिण अफ्रीका को लगता है कि अमेरिका जानबूझकर एक छोटी टीम भेज रहा है ताकि उसे अध्यक्षता भी मिल जाए और किसी बड़ी बहस का सामना भी न करना पड़े। लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने भी साफ़ कर दिया है कि अगर कोई ज़िम्मेदार प्रतिनिधि नहीं आया, तो वह खाली कुर्सी को अध्यक्षता सौंपने का दिखावा भी कर सकता है।
_933216895_100x75.jpg)
_1701485246_100x75.jpg)
_1578377114_100x75.jpg)
_1470818903_100x75.jpg)
 (1)_476025079_100x75.jpg)