Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल इस बार बिल्कुल अलग नजर आ रहा है। हर क्षेत्र में राजनीति की तस्वीर बदली हुई है, लेकिन सीमांचल का राजनीतिक खेल इस बार सबसे दिलचस्प है। यहां न सिर्फ राजनीतिक दलों का चेहरा बदला है, बल्कि झंडे और वफादारियां भी परिवर्तित हो गई हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने सीमांचल में जबरदस्त एंट्री की थी। अमौर, बायसी, जोकिहाट, कोचाधामन और बहादुरगंज—इन पांच सीटों पर AIMIM ने जीत हासिल की थी। लेकिन राजनीति में एक कहावत है, "स्थायी कुछ नहीं, बस हित ही सबसे ऊपर" और यही कुछ AIMIM के नेताओं के साथ हुआ।
2022 में बड़ा बदलाव
2022 में इन पांच विधायकों में से चार आरजेडी (राजद) में शामिल हो गए। केवल अख्तरुल इमान, जो अमौर से विधायक थे और AIMIM के बिहार अध्यक्ष भी थे, वही ओवैसी के साथ बने रहे। बाकी के चार विधायक— सैयद रुकनुद्दीन अहमद (बायसी), शहनवाज आलम (जोकिहाट), मोहम्मद इज़हार असफी (कोचाधामन) और मोहम्मद अंजर नईमी (बहादुरगंज)—ने राजद का दामन थाम लिया। लेकिन अब इन नेताओं को एक बड़ा झटका लगा है। तेजस्वी यादव ने इन तीन विधायकों के टिकट काट दिए, जिनका ओवैसी से राजद में आना एक बड़ा राजनीतिक पल था। अब ये नेता कहीं के नहीं रहे।
बहादुरगंज: नए चेहरे और नई उम्मीदें
बहादुरगंज में इस बार मुकाबला रोचक बन चुका है। कांग्रेस ने मोहम्मद मसवर आलम को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि AIMIM ने एमडी तौसीफ आलम को मैदान में उतारा है। 2020 में इस सीट पर मोहम्मद अंजर नईमी ने AIMIM के टिकट से जीत हासिल की थी, लेकिन अब उनकी स्थिति बदलती नजर आ रही है। उनके पास राजद का टिकट नहीं है, और अब मुकाबला कांग्रेस और AIMIM के बीच होगा।
कोचाधामन: त्रिकोणीय मुकाबला
कोचाधामन सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला होने वाला है। 2020 में मोहम्मद इज़हार असफी ने AIMIM के टिकट पर जीत हासिल की थी। इस बार राजद ने मुजाहिद आलम को टिकट दिया है, जबकि AIMIM ने एमडी सरवर आलम को उतारा है। भा.ज.पा. की बिंदा देवी भी इस सीट पर अपना किस्मत आजमा रही हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
बायसी: विवादों से घिरा उम्मीदवार
बायसी विधानसभा क्षेत्र में सियासी गर्मी अभी भी बनी हुई है। यहां 2020 में सैयद रुकनुद्दीन अहमद ने AIMIM के टिकट से जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में वह राजद में शामिल हो गए थे। अब वे एक विवाद से घिरे हुए हैं, जिनमें आरोप है कि उन्होंने एक जेडीयू नेता के साथ मारपीट की और उसे जबरन अपमानित किया। इस विवाद ने उनकी छवि को चोट पहुंचाई है, और यही कारण है कि तेजस्वी यादव ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इस बार ओवैसी ने गुलाम सरवर को टिकट दिया है, जबकि राजद ने अब्दुस सुबाहन को उतारा है।
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