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Up Kiran, Digital Desk: पंजाब पर कर्ज का बोझ निरंतर बढ़ता जा रहा है, जिसमें पंजाब सरकार द्वारा अपने वादों को पूरा करने के लिए लिए जा रहे निरंतर कर्ज और भी योगदान दे रहे हैं। अब पंजाब सरकार ने 1000 करोड़ रुपए का एक और कर्ज लिया है, जिससे पंजाब का कर्ज का बोझ 4 लाख हजार करोड़ रुपए को पार कर गया है। गौरतलब है कि सीएम भगवंत मान की अगुवाई वाली पंजाब सरकार ने अब तक करीब 1 लाख हजार रुपए का कर्ज लिया है।

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि पंजाब सरकार द्वारा यह कर्ज लैंड पुलिंग स्कीम के तहत विकास कार्यों के लिए लिया गया है। पंजाब सरकार इस स्कीम के तहत राज्य भर में 24000 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में लगी हुई है, जिसके लिए यह कर्ज लिया गया बताया जा रहा है।

सरकारी स्टॉक बेचकर 21 साल के लिए लिया गया कर्ज

सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, यह कर्ज पंजाब सरकार ने 28 मई को 21 साल यानी 2046 तक के लिए लिया है। पंजाब की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, यह कर्ज योजनाओं और विकास कार्यों जैसे पूंजीगत व्यय के वित्तपोषण के लिए लिया गया है, जिसके लिए केंद्र सरकार से (धारा 293(3) के तहत) मंजूरी ली गई है। जानकारी के अनुसार, 1000 करोड़ रुपये का यह कर्ज सरकार ने खुले बाजार की नीलामी के जरिए सरकारी स्टॉक बॉन्ड बेचकर लिया है।

केंद्र द्वारा कर्ज सीमा घटाने के तुरंत बाद लिया गया कर्ज

पंजाब सरकार द्वारा यह कर्ज केंद्र सरकार द्वारा कर्ज सीमा घटाने के तुरंत बाद उठाया गया कदम है। आपको बता दें कि 21 मई को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक के महाप्रबंधक को एक पत्र जारी किया था, जिसमें चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों के लिए 21,905 करोड़ रुपये की कर्ज सीमा को मंजूरी दी गई है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए पंजाब के लिए तैयार की गई समग्र ऋण सीमा के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के दौरान पंजाब 51,176.40 करोड़ रुपये का ऋण ले सकता है। इस लिहाज से 9 महीने की ऋण सीमा 38,382 करोड़ रुपये है, लेकिन केंद्र ने केवल 21,905 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी, यानी इन 9 महीनों के लिए ऋण सीमा 16,477 करोड़ रुपये कम कर दी गई।

पंजाब की कृषि पर कितना कर्ज

फरवरी में लोकसभा द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में कृषि कर्ज एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, जिसके कारण पंजाब में किसान संकट में हैं।

पंजाब की कृषि पर कर्ज के अनुसार, निजी बैंकों का 85,460 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है, जबकि सहकारी बैंकों का 10 हजार करोड़ रुपये और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का 8 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये सभी ऋण 31.03.2024 तक बकाया हैं।

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