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लखनऊ। लोकसभा चुनाव के बीच बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश के विभाजन का मुद्दा छेड़कर सभी पार्टियों को बेचैन कर दिया है। एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि बीएसपी अकेले चुनावी मैदान में है और बड़ी जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी यूपी के लोग लंबे समय से अलग राज्य की मांग करते रहे हैं। केंद्र में बीएसपी की सरकार आने पर हम पश्चिमी यूपी को एक अलग राज्य बनायेगे।

उल्लेखनीय है कि बतौर यूपी सीएम मायावती ने पूरी तैयारी के साथ वर्ष 2011 में यूपी को चार हिस्सों, पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, अवध प्रदेश और बुंदेलखंड में बांटने का प्रस्ताव रखा था। उस प्रस्ताव के मुताबिक़  पूर्वांचल में 32, पश्चिम प्रदेश में 22, अवध प्रदेश में 14 और बुंदेलखण्ड में 7 जिले शामिल होने थे। इस प्रस्ताव को उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक में पास कराकर केंद्र सरकार को भेज दिया था। हालांकि उस समय यूपी के विभाजन पर अमल नहीं कर पाई थी।

बताते चलें कि उस समय केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए-2 की सरकार थी और डॉ. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। केंद्र सरकार ने यूपी के विभाजन के प्रस्ताव को लेकर मायावती सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए इसे वापस कर दिया था। केंद्र सरकार ने नए राज्यों की सीमा, चारों नए राज्यों की राजधानियों, सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के बंटवारे और भरकम कर्ज के बंटवारे को लेकर प्रदेश सरकार से सवाल किया था।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस, बीजेपी और सपा समेत तमाम पार्टियों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था। राष्ट्रीय लोकदल ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। कांग्रेस एवं बीजेपी इस मुद्दे पर स्पष्ट बयान देने से बचती रही हैं। हालांकि अक्टूबर 2023 में बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने एक जनसभा में पश्चिमी यूपी को अलग राज्य के गठन और मेरठ की इसकी राजधानी बनाने की बात कही थी। हालांकि बीजेपी ने इसे उनका निजी विचार बताकर मामले को ठंडा कर दिया था।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश से देश की संसद में अस्सी सांसद चुने जाते हैं। इसलिए प्रदेश का विभाजन सियासी पार्टियों के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा रहा है। प्रदेश के विभाजन से सियासी पार्टियों की रणनीति गड़बड़ा सकती है। इसीलिए इस मुद्दे पर बड़ी पार्टियां खुलकर सामने आने से बचती रही हैं। आरएलडी जरूर 'हरित प्रदेश' के रूप में एक अलग राज्य की मांग करती रही है। इसी तरह ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टीभी अलग 'पूर्वांचल' राज्य के पक्ष में है। 

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