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केंद्र सरकार नया टेलिकम्यूनिकेशन बिल लेकर आई है। 138 साल पुराने बिल को ये नया बिल रिप्लेस करेगा। इसके कई लाभ मिल सकते हैं, मगर इसमें सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं मुहैया करवाने वाली कंपनियों को सीधा फायदा हो सकता है क्योंकि इसमें इंटरनेट सेवाएं देने वाली कंपनियों को स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं बल्कि लाइसेंस देने का प्रावधान किया गया है।

बता दें कि इससे पहले एलन मस्क ने भी इसी की मांग की थी। विदेशी कंपनियां भी लाइसेंस प्रक्रिया की ही मांग कर रही थी। अब सरकार ने इसको मंजूरी दे दी है तो देसी कंपनियों के लिए इसे झटके के रूप में देखा जा रहा है। रिलायंस जियो के लिए भी इस फैसले को झटके के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि इससे पहले जियो ने व्हाट्सएप कॉलिंग को लेकर भी सवाल उठाए थे। जिसमें कहा गया था कि व्हाट्सएप और मैसेजिंग कंपनियां कॉलिंग का ऑप्शन दे रही है।

और तो और वह कोई स्पेक्ट्रम भी नहीं खरीदती है। जियो ने कहा था कि नीलामी ही स्पेक्ट्रम आवंटन का बिल्कुल सही तरीका है, इसलिए वह भी इसे ही फॉलो कर सकते हैं। लेकिन अब नीलामी की जगह लाइसेंस को भी तवज्जो दी जा रही है। यानी को किसी नीलामी प्रक्रिया को फॉलो नहीं करना होगा।