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Up kiran,Digital Desk : हिंदू धर्म में एकादशी का दिन बहुत ही पावन माना जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, दोनों में एकादशी आती है। पर मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का अपना अलग ही महत्व है। इसे मोक्षदा एकादशी कहते हैं। कहते हैं कि ये तिथि बहुत पुण्य दिलाने वाली और कल्याणकारी होती है।

इस दिन अगर आप पूरी श्रद्धा, संयम और भक्ति के साथ व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें, तो आपके जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं। इतना ही नहीं, इस एकादशी का व्रत हमारे पूर्वजों को भी मोक्ष दिलाने में बहुत मदद करता है, जिससे उन्हें स्वर्ग या अच्छी जगहों की प्राप्ति होती है। इसी वजह से इसे 'मोक्ष देने वाली एकादशी' कहा जाता है।

इस साल तारीख को लेकर है थोड़ी उलझन...

इस साल मोक्षदा एकादशी 2025 की तारीख को लेकर थोड़ी कंफ्यूजन बनी हुई है, क्योंकि यह दो दिन पड़ रही है। लोगों के मन में सवाल है कि आखिर किस दिन व्रत रखना ज़्यादा शुभ होगा।

चलिए, आपकी इस उलझन को दूर करते हैं। जानते हैं मोक्षदा एकादशी की सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत खोलने (पारण) का समय और इसका गहरा धार्मिक महत्व।

मोक्षदा एकादशी 2025 की सही तारीख कब है?

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 1 दिसंबर 2025, सोमवार को पड़ रही है। यह एकादशी 1 दिसंबर की रात 09 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 2 दिसंबर की सुबह 07 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए, मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025, सोमवार को ही रखना शुभ होगा।

व्रत कब खोलना है (पारण का समय)?

चूंकि व्रत 1 दिसंबर को रखा जाएगा, इसलिए 2 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से लेकर 8 बजकर 25 मिनट के बीच व्रत का पारण करना शुभ रहेगा।

क्या इस दिन भद्रा का साया रहेगा?

जी हाँ, पंचांग के अनुसार, 1 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 20 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 01 मिनट तक भद्रा का वास रहेगा। इस दौरान भद्रा धरती पर निवास करेंगी। इसके साथ ही, इस दिन पंचक भी रहेगा।

मोक्षदा एकादशी का महत्व क्या है?

मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और कल्याणकारी मानी जाती है। इसका महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि मान्यता है कि इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से व्रत करने पर व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का रास्ता आसान हो जाता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत सिर्फ व्रत रखने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि उसके पूर्वजों के लिए भी मोक्ष दिलाने में सहायक होता है, जिससे उन्हें स्वर्ग या अच्छी लोक की प्राप्ति होती है।

यह दिन भगवान विष्णु की पूजा-पाठ, ध्यान, मंत्र जप और दान-पुण्य करने के लिए सबसे अच्छा माना गया है। खास बात यह है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का महान ज्ञान दिया था। इसी वजह से इसे ज्ञान और धर्म की स्थापना का प्रतीक भी माना जाता है। कुल मिलाकर, यह एकादशी आत्म-शुद्धि, पूर्वजों का कल्याण, आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक बहुत ही शुभ अवसर है।

2026 में देवगुरु बृहस्पति लाएंगे खुशियां!

नए साल 2026 में देवताओं के गुरु बृहस्पति कई शुभ योग बना रहे हैं। वे नए साल की शुरुआत में ही मिथुन, कर्क और फिर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। शुरुआती दौर में ही चंद्रमा के साथ मिलकर 'गजकेसरी राजयोग' बनाएंगे। इससे सभी 12 राशियों के जीवन पर कुछ न कुछ असर पड़ेगा, लेकिन तीन राशियाँ ऐसी हैं जिन्हें किस्मत का पूरा साथ मिल सकता है।