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Up Kiran, Digital Desk: अरे अभी मई ही तो है और केरल में बारिश शुरू हो गई। जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना! इस बार 2025 में देश में मानसून ने दस्तक देने की तारीख ही बदल दी है। आमतौर पर जहां दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है, वहीं इस बार यह 24 मई को ही पहुंच गया है — यानी पूरे आठ दिन पहले।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह साल इतिहास में दर्ज हो गया है, क्योंकि 2009 के बाद पहली बार मानसून इतनी जल्दी पहुंचा है। सवाल ये है कि आख़िर ऐसा हुआ क्यों। और इससे फायदा ज्यादा होगा या नुकसान। आइए आसान भाषा में समझते हैं।

मानसून की आधिकारिक एंट्री कैसे होती है

IMD के मुताबिक, मानसून की एंट्री कोई अटकल नहीं, बल्कि वैज्ञानिक मानकों के आधार पर होती है। इसमें मुख्य बातें ये होती हैं:

14 मौसम केंद्रों में से 60% पर दो दिन तक लगातार बारिश (2.5 मिमी से ज़्यादा)। पश्चिमी हवाएं 15-20 नॉट की स्पीड से चलनी चाहिए। OLR (आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन) 200 W/m² से कम होना चाहिए। इस बार ये सभी शर्तें समय से पहले पूरी हो गईं और मौसम विभाग ने झट से एलान कर दिया – "मानसून आ चुका है!"

क्या ये रिकॉर्ड है

इतिहास में सबसे जल्दी मानसून 1918 में 11 मई को पहुंचा था, और सबसे देर से 1972 में 18 जून को। इस लिहाज़ से 2025 का मानसून रिकॉर्ड नहीं तो भी काफी जल्दी जरूर है।

क्या वजह रही इतनी जल्दी आने की

अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में नमी ज़्यादा रही। समुद्र का तापमान सामान्य से ऊपर चला गया। चक्रवातीय हलचलें तेज़ रहीं। ग्लोबल क्लाइमेट चेंज भी जिम्मेदार। ये सारी बातें मिलकर मानसूनी हवाओं को ट्रिगर करती हैं। इस बार यही हुआ।

जल्दी आना मतलब जल्दी जाना

नहीं, बिल्कुल नहीं। मानसून कब खत्म होगा ये उसकी गति, ताकत और मौसम के पैटर्न पर निर्भर करता है। हो सकता है जल्दी आया मानसून पूरे चार महीने आराम से टिका रहे और भरपूर बारिश दे या हो सकता है बीच में कमजोर पड़ जाए।

खेती-किसानी को क्या फायदा

बीज जल्दी बोए जा सकेंगे। फसलों को शुरुआत से ही पानी मिलेगा। खेतों में नमी पहले से मौजूद है, जिससे उत्पादन बेहतर हो सकता है। तो किसान भाईयों के लिए यह सुनहरा मौका हो सकता है, बशर्ते मानसून की चाल धीमी न पड़े।

क्या कोई खतरा भी है

हर मौका कुछ खतरे भी साथ लाता है। अगर मानसून जल्दी आकर धीमा पड़ गया, तो मध्य सीजन में सूखा हो सकता है। फसलों की टाइमिंग गड़बड़ा सकती है अगर बारिश असमय हो जाए। कुछ हिस्सों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ सकता है।

 

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