Up Kiran, Digital Desk: दोस्तों, आज की दुनिया में जहाँ 'वर्क-लाइफ बैलेंस' (Work-Life Balance) एक बड़ी चर्चा का विषय है, वहीं भारत के सबसे बड़े आईटी दिग्गजों में से एक, इंफोसिस (Infosys) के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति (Narayan Murthy) ने एक बार फिर अपने बयानों से बवाल मचा दिया है. उन्होंने युवाओं से हफ्ते में 70 घंटे काम (70-hour work call) करने का आग्रह किया है, ताकि देश की प्रगति को तेज़ किया जा सके. लेकिन इस बार उन्होंने एक ऐसा उदाहरण दिया है, जिसने बहस को और गरमा दिया है – वो है चीन का '9-9-6' कल्चर, जबकि यह खुद चीन में प्रतिबंधित है!
नारायण मूर्ति का यह बयान वाकई एक 'तूफान' खड़ा करने वाला है, और इसके बाद उनकी खूब चर्चा हो रही है.
क्या है नारायण मूर्ति का '70 घंटे काम' वाला मंत्र?
नारायण मूर्ति पहले भी भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को कड़ी मेहनत करने का आह्वान करते रहे हैं. उनका तर्क है कि अगर हम विकसित देशों के साथ मुकाबला करना चाहते हैं, तो भारतीयों को अधिक काम करना होगा. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आज भी अगर भारत के युवाओं ने हफ्ते में 70 घंटे काम नहीं किया, तो शायद हम उन देशों से पीछे रह जाएँगे जिन्होंने पहले से ही तरक्की कर ली है. यह विचार बहुत से लोगों को देश के प्रति कर्तव्य जैसा लग रहा है, पर बहुत से इसे 'अमानवीय' भी बता रहे हैं.
और चीन का वो '9-9-6' कल्चर, जो है प्रतिबंधित!
अपने इस '70 घंटे काम' के तर्क को मजबूत करने के लिए, नारायण मूर्ति ने चीन की '9-9-6 संस्कृति' (China's 9-9-6 Culture) का भी उदाहरण दिया. इस '9-9-6' का मतलब है - सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक, हफ्ते में 6 दिन काम करना. उन्होंने इसे चीन की प्रगति का एक अहम कारण बताया.
पर यहीं पर एक बड़ा 'ट्विस्ट' है, जिसे शायद उन्होंने अपने बयान में उजागर नहीं किया या उन्हें जानकारी नहीं थी – चीन की यह '9-9-6 संस्कृति' वहाँ खुद 'अवैध' है! जी हाँ, चीन के कानून के तहत इसे कामगारों के शोषण के रूप में देखा जाता है और इसे आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित (Banned) कर दिया गया है. 2021 में, चीन की सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट ने इसे 'स्पष्ट रूप से अवैध' करार दिया था और ऐसी कंपनियों को फटकार लगाई थी जो इसका पालन करती हैं.
यह नया विवाद क्यों इतना मायने रखता है?
नारायण मूर्ति के बयान से युवा पेशेवरों (Young Professionals) के बीच नई बहस छिड़ गई है. एक तरफ जहां कुछ लोग इसे देश के विकास के लिए ज़रूरी मानते हैं, वहीं कई युवा कहते हैं कि लगातार इतने घंटे काम करने से न सिर्फ़ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य (Mental and Physical Health) पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि 'काम-जीवन संतुलन' (Work-Life Balance) भी ख़राब होता है. ऊपर से चीन का वह उदाहरण देना जो खुद वहाँ अवैध है, उनके बयान पर सवाल और भी बढ़ा देता है.
अब देखना यह है कि यह बहस किस ओर जाती है. क्या भारत सरकार या उद्योगपति भी इस विचार को अपनाएँगे या फिर युवा इस पर अपनी कोई नई राय सामने लाते हैं? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है कि नारायण मूर्ति ने देश में एक बड़ा मुद्दा फिर से खड़ा कर दिया है.
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