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Up Kiran, Digital Desk: जिसके भाले से सोना बरसता है, जिसकी एक थ्रो दुनिया जीत लेती है, उसे भी कभी-कभी निराशा हाथ लग सकती है। वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल में भारत के 'गोल्डन बॉय' नीरज चोपड़ा के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। अरबों उम्मीदों का बोझ लेकर मैदान पर उतरे नीरज इस बार मेडल जीतने से चूक गए और उन्हें अपनी सीजन की सबसे खराब परफॉरमेंस से संतोष करना पड़ा।

यह खबर उनके करोड़ों फैंस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं थी। फाइनल के दौरान नीरज खुद भी बेहद निराश और हताश नजर आ रहे थे। हर कोई यह जानना चाहता था कि आखिर उस दिन हुआ क्या था? लेकिन जब हार के एक दिन बाद खुद नीरज चोपड़ा सामने आए, तो उन्होंने जो कहा, उसने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह सिर्फ एक महान खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि एक महान इंसान भी हैं।

कोई बहाना नहीं, सिर्फ ईमानदारी और बड़प्पन

अक्सर जब बड़े खिलाड़ी हारते हैं, तो वे हवा, किस्मत या किसी और चीज को दोष देते हैं। लेकिन नीरज ने ऐसा कुछ नहीं किया। उन्होंने बड़ी ही सादगी और ईमानदारी से अपनी नाकामी को स्वीकार किया।

अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर उन्होंने लिखा, "टोक्यो में वर्ल्ड चैंपियनशिप के साथ मैं सीजन का अंत इस तरह से नहीं करना चाहता था। मैं सभी चुनौतियों के बावजूद भारत के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहता था, लेकिन शायद यह मेरी रात नहीं थी।"

खुद हारे, पर दूसरे भारतीय के लिए हुए खुश

लेकिन इस पोस्ट की सबसे बड़ी और दिल छू लेने वाली बात तो कुछ और थी। नीरज ने अपने दर्द को भुलाकर, इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करने वाले दूसरे भारतीय एथलीट, सचिन यादव की जमकर तारीफ की। सचिन इस फाइनल में नीरज से भी आगे चौथे स्थान पर रहे थे।

नीरज ने लिखा, "मैं सचिन के लिए वास्तव में बहुत खुश हूं, जिन्होंने अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया और लगभग एक मेडल घर ले ही आए थे।"

इतना ही नहीं, उन्होंने इस इवेंट में मेडल जीतने वाले तीनों विदेशी खिलाड़ियों को भी दिल खोलकर बधाई दी।

फैंस से किया मजबूत वापसी का वादा

अपने फैंस से बात करते हुए उन्होंने कहा, "आप सभी के समर्थन के लिए आभारी हूं, यह (हार) मुझे केवल और मजबूत होकर वापस आने के लिए दृढ़ संकल्पित बनाती है।"

हार और जीत तो खेल का हिस्सा हैं, लेकिन असली चैंपियन वही होता है जो हार के बाद भी सर उठाकर खड़ा रहे और दूसरों की जीत का सम्मान करे। नीरज चोपड़ा ने इस हार को एक बहाने की तरह नहीं, बल्कि एक सबक की तरह लिया है। उनकी इसी स्पोर्ट्समैन स्पिरिट (sportsman spirit) ने उन्हें एक बार फिर हर भारतीय की नजरों में एक सच्चा हीरो बना दिया है। मेडल भले ही हाथ न आया हो, लेकिन नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर सबका दिल जीत लिया है।