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Up Kiran, Digital Desk: अररिया की राजनीति में इस समय एक नई हलचल है। भाजपा के कद्दावर नेता और दो बार जिला अध्यक्ष रह चुके चंद्रशेखर सिंह 'बब्बन' ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ 'जन सुराज' आंदोलन का दामन थाम लिया है। यह सिर्फ दल-बदल नहीं, बल्कि उस राजनीतिक असंतोष और सम्मान की तलाश की कहानी है, जो आज बिहार की कई जिलों की राजनीति में आम हो चली है।
कौन हैं चंद्रशेखर सिंह 'बब्बन'
अगर आप अररिया की राजनीति को थोड़ा भी जानते हैं, तो ‘बब्बन जी’ कोई अनजान नाम नहीं है। दो बार भाजपा जिलाध्यक्ष, कई बार जिला पार्षद, लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके नेता और सबसे खास अररिया के हर गांव से व्यक्तिगत जुड़ाव रखने वाले जननेता।
उनकी सादगी, मेहनती व्यक्तित्व और सामाजिक जुड़ाव ने उन्हें ज़मीनी नेता की पहचान दी है। लेकिन अब तक जिस पार्टी को मज़बूती दी, वहीं पार्टी उन्हें वाजिब सम्मान नहीं दे सकी और यही बना उनके नए सफर का आधार।
'जन सुराज' की तरफ रुख क्यों
जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने जब अपने सोशल मीडिया पर बब्बन जी के साथ तस्वीर साझा की और लिखा “अररिया में जन सुराज को एक मजबूत स्तम्भ के रूप में चंद्रशेखर सिंह 'बब्बन' का साथ मिला”, तो यह महज़ एक घोषणा नहीं थी — यह संकेत था कि जन सुराज अब ज़मीनी नेताओं को साथ लेकर अपनी जड़ें गहरी कर रहा है।
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