Up Kiran, Digital Desk: फेसबुक (मेटा) के ग्लोबल अफेयर्स के प्रेसिडेंट और पूर्व ब्रिटिश उप-प्रधानमंत्री निक क्लेग ने सिलिकॉन वैली की कार्यशैली पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि यह पूरा इलाका बाहरी तौर पर भले ही बड़ा प्रगतिशील और बदलाव लाने वाला दिखे, लेकिन असलियत में यह 'अनुरूपतावादी' (conformist) है और यहाँ के 'टेक ब्रोज़' (तकनीकी जगत के पुरुष अधिकारी) अक्सर खुद पर तरस खाते हुए नज़र आते हैं।
क्या है सिलिकॉन वैली की असलियत, क्लेग के अनुसार?
निक क्लेग ने हाल ही में अटलांटिक फेस्टिवल में बोलते हुए कहा कि सिलिकॉन वैली के लोग अक्सर एक 'इको चैंबर' (echo chamber) यानी अपनी ही बनाई हुई दुनिया में जीते हैं। इस वजह से, उनके पास विचारों की विविधता (diversity of thought) की कमी है। वे बाहरी दुनिया को या तो नज़रअंदाज कर देते हैं या फिर अपनी ही बनाई हुई धारणाओं से प्रभावित रहते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सिलिकॉन वैली की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके नेताओं को लगता है कि वे हमेशा सही होते हैं और जब भी कोई समस्या आती है, तो वे खुद को पीड़ित के तौर पर पेश करने लगते हैं। क्लेग के मुताबिक, इस जगह को बाहर से आने वाले विचारों और आलोचना की सख्त ज़रूरत है, ताकि वे खुद को बेहतर बना सकें और दुनिया की असलियत को समझ सकें।
क्लेग का यह बयान उन लोगों के लिए एक अहम संदेश है जो टेक जगत की चमक-दमक में खोए रहते हैं। यह याद दिलाता है कि किसी भी क्षेत्र में, चाहे वह कितना भी आधुनिक क्यों न हो, खुले दिमाग और आलोचनात्मक सोच का होना कितना ज़रूरी है, खासकर जब आप समाज पर गहरा प्रभाव डालने वाले उत्पाद बना रहे हों।
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