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Up Kiran, Digital Desk: रियासी जिला मुख्यालय से दूर, बदर गांव में एक सुखी परिवार की नींद ठहर गई उस वक्त जब अचानक पहाड़ी से भारी मलबा लुढ़क पड़ा। यह पूरा परिवार38 वर्षीय नजीर अहमद, उनकी पत्नी वजीरा बेगम, और पांच बेटों की जान लेने के लिए मिला-जुला पहाड़ी मलबा बनकर गिर पड़ा। बच्चे सिर्फ पांच से तेरह साल की उम्र के थे, लेकिन उस तड़पती आवाज़ के लिए उनके पास मोहलत तक नहीं बची।

सुबह खबर मिलते ही आसपास के लोग मौके पर जुटे और प्रशासन की टीमों ने मिलकर राहत कार्य शुरू किया। लेकिन जान बचाना अब संभव नहीं था।

रामबन में आफत का दूसरा चेहरा

वहीं दूसरी ओर, रामबन के गाडीग्रान कुमाटे गांव में रात के करीब साढ़े ग्यारह बजे बादल फट गया। इतना तेज था कि घरों पर दौड़े मलबे ने लोगों को चीखने की भी जगह नहीं दी।

उसी रात चार लोग मलबे में दब गए—अश्विनी शर्मा (27), उनके भाई द्वारकानाथ (59), भतीजी वीरता देवी (29) और रिश्तेदार ओम राज (42)। साथ में विद्या देवी (50) लापता हो गई, जिसने ज़िंदगी की बिगड़ती लकीर बीच में ही छोड़ दी।

जमीन पर फैले मलबे को कड़ी मेहनत के बाद SDRF और स्थानीय लोग हटा पाए—और तभी सच सामने आया।

सहारा देने वाली गुक्लियाँ – बचाव और राहत अभियान

उपायुक्त मोहम्मद अलयास खान और एसएसपी अरुण गुप्ता सुबह सबसे पहले ज़मीन पर पहुंचे। स्थानीय पुलिस, SDRF और गांव वाले मलबा हटाने और शव निकालने में जुटे रहे। रामबन में गायशाला, प्राथमिक विद्यालय और दो मकान मलबे में बह गए। रियासी में परिवार को राहत राशि प्रदान की जा रही है, और रामबन में अब तक की खोज जारी है।

उस पार से संदेश – प्रशासन की संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी

एलजी मनोज सिन्हा और सीएम उमर अब्दुल्ला ने दोनों घटनाओं पर गहरा दुःख जताया। प्रभावित परिवारों को हर तरह की मदद का आदेश दिया गया। प्रशासन ने यह साफ कर दिया कि अगली राहत और बचाव में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।