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Up Kiran, Digital Desk: जैसे-जैसे 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव करीब आता जा रहा है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रचार की शोर-गुल से ज़्यादा ज़मीन पर योजनाओं के ज़रिए लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। और इस बार, उनका पूरा फोकस महिलाओं पर है।

बीते कुछ महीनों में नीतीश सरकार ने महिलाओं के लिए एक के बाद एक बड़ी घोषणाएं की हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह कोई तात्कालिक रणनीति नहीं, बल्कि एक सोच-समझकर बनाई गई लंबी योजना है, जिसका उद्देश्य महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में लामबंद करना है।

2020 के चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा वोटिंग की थी। अब 2025 में यही महिला मतदाता, सरकार बनाने और गिराने की असली ताकत बन सकती हैं।

7 बड़ी योजनाएं, सीधा महिला वोट बैंक पर निशाना

1. जीविका दीदियों को बोनस और ब्याज में छूट

1.40 लाख जीविका कार्यकर्ताओं का मानदेय दोगुना किया गया। बैंक लोन पर ब्याज 10% से घटाकर 7% कर दिया गया। यह बदलाव सीधे ग्रामीण महिलाओं को फायदा पहुंचाएगा।

2. मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना

8,053 पंचायतों में विवाह भवन बनाए जा रहे हैं। इनका संचालन ग्रामीण महिलाओं के हाथ में होगा, जिससे उनकी कमाई और सामाजिक भागीदारी दोनों बढ़ेगी।

3. आशा और ममता कार्यकर्ताओं को बढ़ा मानदेय

आशा का मानदेय 3,000 रुपये और ममता कार्यकर्ताओं का 600 रुपये हुआ। इससे 1.20 लाख महिलाओं को राहत मिलेगी। नई भर्ती की भी प्रक्रिया शुरू है।

4. आंगनवाड़ी को डिजिटल टूल

11,000 रुपये मोबाइल खरीदने के लिए मिलेंगे। इससे डिजिटल सशक्तिकरण और सरकारी संपर्क दोनों आसान होंगे।

5. मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना

हर परिवार की एक महिला को ₹10,000 का अनुदान और 6 महीने बाद ₹2 लाख तक का ब्याजमुक्त ऋण। इसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का फंड तैयार है।

6. स्कूल रसोइयों का मानदेय दोगुना

अब उन्हें ₹3,300 प्रति माह मिलेगा। स्कूलों में रसोई का ज़्यादातर काम महिलाएं करती हैं, इसलिए यह सीधा फायदा है।

7. महिला आरक्षण और अधिवास नीति

नगर निकाय और पंचायतों में 50% आरक्षण पहले से लागू है। अब सरकारी नौकरियों में भी महिलाओं को 35% आरक्षण मिला है।

राजनीति की नई दिशा: महिला सशक्तिकरण से वोट बैंक तक

बिहार की राजनीति में महिलाएं अब सिर्फ़ मतदाता नहीं, बल्कि नीति निर्धारण का केंद्र बन चुकी हैं।

2020 में महिला वोटिंग प्रतिशत 60% तक पहुंचा था, जबकि पुरुषों का 54% रहा। नीतीश कुमार इसी ट्रेंड को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।

झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में महिला केंद्रित योजनाएं पहले ही गेमचेंजर साबित हो चुकी हैं। अब बिहार की बारी है।

क्या नीतीश की महिला रणनीति रंग लाएगी?

महिलाओं के बीच लोकप्रियता बढ़ाने के लिए योजनाओं की झड़ी लगाई जा रही है। लेकिन चुनावी नतीजे सिर्फ़ योजनाओं पर नहीं, उनके असर पर तय होंगे।

नीतीश कुमार की महिला संवाद यात्रा और योजनाओं का पैकेज चुनाव से पहले एक मजबूत नैरेटिव बना रहा है।

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