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Up Kiran, Digital Desk: इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया है। पिछले सप्ताह ईरान पर इजराइल के हमले के बाद दुनिया भर के कई मुस्लिम देशों ने इस हमले की कड़ी निंदा की थी। सऊदी अरब ने ईरान को अपना भाई बताया और कहा कि इजराइल का हमला ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा को कमजोर करता है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है। तुर्की ने भी हमले की निंदा की और कहा कि इजराइल पूरे क्षेत्र को युद्ध में धकेलना चाहता है।
ईरान से दूर रहें मुस्लिम देश
ईरान के पड़ोसी मुस्लिम देश मिस्र, लेबनान और इराक ने भी इजराइल के हमले की निंदा की, लेकिन इनमें से कोई भी इजराइल के खिलाफ ईरान के समर्थन में सामने नहीं आया। मुस्लिम देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन ने भी संघर्ष पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
पाकिस्तान की मुस्लिम देशों को एकजुट करने की कोशिश
ईरान पर इजराइल के हमले की निंदा करते हुए पाकिस्तान ने मुस्लिम देशों से एकजुट होकर ईरान का समर्थन करने का आह्वान किया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान दुनिया के मुस्लिम देशों को ईरान के समर्थन में एकजुट करने की कोशिश कर रहा है ताकि शांति स्थापित हो सके। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भी बुधवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे ईरान और इजरायल के बीच युद्ध को तुरंत खत्म करें, अन्यथा इस क्षेत्र में बिगड़ते हालात न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरनाक होंगे।
एक तरफ पाकिस्तान ईरान का समर्थन कर रहा है और दुनिया भर के मुसलमानों से इजरायल के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ उसके सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर व्हाइट हाउस में इजरायल के सबसे बड़े समर्थक और सहयोगी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान किस हद तक ईरान के साथ खड़ा है।
21 मुस्लिम देशों ने जताया विरोध
21 मुस्लिम देशों ने मंगलवार को इजरायल पर हुए हमले की निंदा करते हुए बयान जारी किया। विरोध प्रस्ताव में इन देशों ने मांग की कि वे ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले रोकें, अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और कानूनों का सम्मान करें और विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीतिक रास्ता चुनें। बयान जारी करने वाले देशों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, तुर्की, मिस्र, ओमान, कतर, कुवैत, सूडान, सोमालिया, पाकिस्तान, ब्रुनेई, चाड, बहरीन, जिबूती, लीबिया, अल्जीरिया शामिल हैं।
मुस्लिम देशों ने इजराइल की निंदा करते हुए बयान जारी किए, लेकिन कोई भी खुलकर ईरान के समर्थन में सामने नहीं आया। विशेषज्ञों का कहना है कि मुस्लिम देश ईरान के साथ होने का दिखावा कर रहे हैं, लेकिन उनके पास ऐसा करने की क्षमता नहीं है। मुस्लिम देशों को डर है कि अगर वे ईरान के साथ आते हैं, तो वे संयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल के दुश्मन बन जाएंगे। यह किसी भी तरह से उनके हित में नहीं होगा।
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