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उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सास-दामाद प्रकरण ने सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 38 वर्षीय एक महिला अपनी बेटी के होने वाले 20 वर्षीय पति के साथ फरार हो गई थी। बीते कल शुक्रवार को परिवार परामर्श केंद्र में तीन घंटे की काउंसलिंग के बाद भी अपने पति के साथ लौटने को तैयार नहीं हुई। महिला ने स्पष्ट कह दिया कि मेरा अंतिम फैसला है कि मैं दामाद के साथ ही रहूंगी। आखिरकार, उसे देर शाम दामाद के सुपुर्द कर दिया गया।
काउंसलिंग में क्या हुआ?
शुक्रवार दोपहर 12 बजे पुलिस लाइन स्थित परिवार परामर्श केंद्र में महिला और उसके पति को बुलाया गया। काउंसलरों और महिला पुलिस ने बच्चों की खातिर उसे पति के साथ लौटने के लिए समझाने की कोशिश की। पति ने कहा कि वह सम्मान के साथ उसे रखने को तैयार है और जरूरत पड़ी तो गांव छोड़कर शहर में किराए के मकान में रहेंगे। लेकिन महिला अडिग रही। उसने कहा कि "जब इतनी बदनामी हो गई है, तो अब मैं अपना फैसला नहीं बदलूंगी। मुझे न अकेले में बात करनी है, न कोई तारीख चाहिए।"
तीन घंटे की काउंसलिंग के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला। आखिरकार काउंसलरों ने फाइल बंद कर दी और महिला को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
जानें पूरा मामला
मामला अलीगढ़ के मडराक के मनोहरपुर कायस्थ गांव का है। यहां की एक युवती की शादी दादों के एक युवक राहुल से तय हुई थी, जो 16 अप्रैल को होनी थी। लेकिन`6 अप्रैल को होने वाली सास 38 वर्षीय महिला अपने होने वाले दामाद के साथ पांच लाख रुपये के जेवरात और साढ़े तीन लाख रुपये लेकर फरार हो गई। दस दिन तक फरार रहने के बाद बुधवार को दोनों वापस लौटे। महिला ने पुलिस को बताया कि उसका पति नशे में मारपीट करता था, रुपये के लिए तंग करता था, और दामाद से बातचीत पर शक करता था। इससे तंग आकर उसने घर छोड़ दिया।
राहुल ने भी स्वीकार किया कि उसकी एक अन्य महिला से बातचीत को लेकर पहले भी विवाद हुआ था, जिसे पंचायत में सुलझाया गया था। उसने दावा किया कि सास को उसके पति की प्रताड़ना से बचाने के लिए दोनों फरार हुए।