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Up Kiran, Digital Desk: देवी तारा तारिणी का पावन धाम अब भक्ति, तकनीक और सेवा की एक नई सुबह में प्रवेश कर चुका है. ओडिशा की मंदिर परंपराओं में पहली बार, तारा तारिणी मंदिर प्रशासन ने एक अत्याधुनिक ऑटोमेटिक कुकिंग सिस्टम स्थापित किया है. यह नई व्यवस्था हजारों भक्तों तक 'अन्न प्रसाद' को पहले से कहीं ज्यादा तेजी, स्वच्छता और कम कीमत पर पहुंचाने का वादा करती है.

क्या है यह नई व्यवस्था: मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर बने नए किचन में यह आधुनिक कुकिंग यूनिट लगाई गई है, जो पूरी तरह से बिजली से चलती है. इसकी क्षमता इतनी है कि यह महज 30 मिनट में 5,000 भक्तों के लिए अन्न या खिचड़ी, दाल, मिक्स सब्जी, डालमा, खट्टा और खीर जैसा दिव्य प्रसाद तैयार कर सकती है. यह शानदार पहल ओडिशा सरकार द्वारा मंदिर के लिए चलाए जा रहे 68 करोड़ रुपये के विकास योजना का हिस्सा है, जिसमें से लगभग 1 करोड़ रुपये सिर्फ इस किचन और डाइनिंग हॉल पर खर्च किए गए हैं.

मंदिर के अधिकारी प्रमोद कुमार पंडा ने बताया, "पहले, खाना पकाने के लिए लकड़ी या एलपीजी गैस का इस्तेमाल होता था, और बहुत सीमित संख्या में ही भक्त प्रसाद का आनंद ले पाते थे. अब, इस आधुनिक रसोई के दरवाजे हर दिन हजारों भक्तों के लिए खुलेंगे."

सफल रहा ट्रायल, सस्ता मिलेगा प्रसाद

इस साल चैत्र उत्सव (15 मार्च से 12 अप्रैल) के दौरान इस रसोई का ट्रायल किया गया था, जिसमें हर मंगलवार को भक्तों को मुफ्त में 'अन्न प्रसाद' परोसा गया. इस शानदार प्रतिक्रिया से उत्साहित होकर प्रशासन ने प्रशिक्षण के साथ-साथ ट्रायल को भी जारी रखा है. फिलहाल, भुवनेश्वर से आए एक ऑपरेटर 10 सेवकों को इस ऑटोमेटिक सिस्टम को चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

एक उच्च-स्तरीय समिति भी बनाई गई है जो भक्तों की संख्या, उनकी पसंद, प्रसाद के स्वाद और गुणवत्ता का अध्ययन करेगी. समिति का मुख्य काम प्रसाद की कीमत को कम करने के तरीके खोजना है. उम्मीद है कि प्रसाद की नई कीमत पहले के 100 रुपये प्रति भोजन से काफी कम होगी. समिति की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद रसोई पूरी तरह से चालू हो जाएगी.

इस ऐतिहासिक उपलब्धि का श्रेय उपमुख्यमंत्री पार्वती परिदा और वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री बिभूति भूषण जेना के समर्पित प्रयासों को दिया जा रहा है, जो मंदिर के लिए एक नए युग का संकेत है. प्राचीन आस्था और आधुनिक तकनीक के इस संगम से, तारा तारिणी मंदिर ने यह मिसाल कायम की है कि कैसे विरासत और नवाचार मिलकर भक्तों की बेहतर सेवा कर सकते हैं.

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