Up kiran,Digital Desk : भारत में अब विदेशियों की तरह नए और एडवांस मेडिकल उपकरण मरीजों तक जल्द ही पहुंच सकेंगे। केंद्र सरकार ने इन उपकरणों को भारत में लाने और उन्हें मंजूरी देने के पुराने और झंझट भरे तरीकों को खत्म करते हुए एक बड़ा बदलाव किया है। इसके लिए एक नया ऑनलाइन सिस्टम शुरू किया गया है, जिससे पूरी प्रक्रिया पहले से कहीं ज्यादा तेज, आसान और पारदर्शी हो जाएगी।
क्या है यह नया सिस्टम?
दवाओं और मेडिकल उपकरणों पर नजर रखने वाली सरकारी संस्था, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने 27 नवंबर से एक नया ऑनलाइन पोर्टल शुरू कर दिया है। इस पोर्टल पर कंपनियां अपने नए और अनोखे मेडिकल उपकरणों की "रिस्क कैटेगरी" यानी जोखिम की श्रेणी तय करवाने के लिए सीधे ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं।
आसान भाषा में समझें तो, अब यह तय करना कि कोई उपकरण कितना जोखिम भरा है (जैसे थर्मामीटर कम जोखिम वाला और पेसमेकर ज्यादा जोखिम वाला), बहुत तेजी से हो जाएगा। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सभी राज्यों को यह नया सिस्टम तुरंत लागू करने के निर्देश भी दे दिए हैं।
पहले क्यों होती थी इतनी देर?
अब तक अगर कोई कंपनी बिल्कुल नई तकनीक वाला कोई उपकरण भारत में लाना चाहती थी, जो सरकारी लिस्ट में शामिल नहीं होता था, तो उसे एक लंबी-चौड़ी कागजी कार्रवाई से गुजरना पड़ता था। कंपनियों को अलग से आवेदन देना होता था और फिर चिट्ठियों के जरिए महीनों तक बातचीत चलती रहती थी, जिससे मंजूरी मिलने में बहुत ज्यादा वक्त लग जाता था। इस वजह से कई बार बेहतरीन और नई टेक्नोलॉजी भी भारतीय मरीजों तक पहुंचने में पिछड़ जाती थी।
इस बदलाव से क्या फायदे होंगे?
- अब महीनों का इंतजार खत्म: जो काम पहले महीनों में होता था, अब वो बहुत कम समय में हो जाएगा और मंजूरी पर फैसला जल्दी होगा।
- कागजी काम से छुटकारा: अलग से चिट्ठी-पत्री भेजने और लंबे पत्राचार का झंझट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
- सब कुछ ऑनलाइन और पारदर्शी: आवेदन की स्थिति से लेकर हर अपडेट ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
- नई टेक्नोलॉजी को मिलेगा बढ़ावा: इस कदम से भारत में नई और इनोवेटिव मेडिकल टेक्नोलॉजी को आने में प्रोत्साहन मिलेगा।
- पूरे देश में एक ही नियम: अब छोटे से लेकर बड़ी हाई-एंड मशीनों तक, सभी उपकरणों का मूल्यांकन पूरे देश में एक जैसे नियमों के आधार पर होगा।
सरकार के इस कदम को मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है। उम्मीद है कि इससे न सिर्फ 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश के आम लोगों को भी इलाज के लिए बेहतर और आधुनिक उपकरण समय पर उपलब्ध हो सकेंगे।
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