
Up Kiran, Digital Desk: वस्तु एवं सेवा कर (GST) में हालिया सुधारों को लेकर ओडिशा की राजनीति गरमा गई है। मंगलवार को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार ने विधानसभा में ध्वनि मत से एक प्रस्ताव पारित कर "अगली पीढ़ी" के जीएसटी सुधारों को लागू करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद दिया। हालांकि, इस दौरान मुख्य विपक्षी दल बीजू जनता दल (BJD) और कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
सरकार ने GST को बताया "गेम चेंजर"
वित्त विभाग का भी जिम्मा संभाल रहे मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने खुद यह प्रस्ताव सदन में पेश किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी सुधार देश के आर्थिक परिदृश्य को बदलने के लिए किया गया एक क्रांतिकारी बदलाव है। मुख्यमंत्री ने सुधारों के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा:
सरल टैक्स संरचना: नई प्रणाली ने टैक्स की संरचना को बहुत सरल बना दिया है।
जरूरी चीजों पर टैक्स कम: आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स की दरें घटाई गई हैं, जिससे आम लोगों को सीधा फायदा होगा। उदाहरण के लिए, व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी से छूट दी गई है।
विलासिता की वस्तुओं पर अधिक टैक्स: लग्जरी सामानों पर टैक्स बढ़ाकर सरकार ने सामाजिक संतुलन साधने का प्रयास किया है।
आर्थिक विकास को बढ़ावा: माझी ने दावा किया कि यह सुधार केवल एक टैक्स बदलाव नहीं है, बल्कि यह एक "गेम चेंजर" है। यह एक अधिक पारदर्शी, कुशल और विकास-उन्मुख अर्थव्यवस्था का वादा करता है, जिससे रोजगार बढ़ेगा और राष्ट्र की प्रगति होगी।
विपक्ष ने उठाए सवाल, बताया 'राजनीतिक स्टंट'
वहीं दूसरी ओर, विपक्षी BJD और कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को एकतरफा और राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास बताया। विपक्ष के सदस्यों, जिन्होंने सोमवार को इस बहस में हिस्सा लिया था, ने कई गंभीर सवाल उठाए:
देरी पर सवाल: BJD के वरिष्ठ सदस्य आर.पी. स्वाइन ने कहा कि इन सुधारों को लाने में आठ साल लग गए और इस दौरान गरीबों की जेब से 57 लाख करोड़ रुपये निकाले गए।
एक व्यक्ति को श्रेय क्यों? विपक्ष का तर्क था कि इसका श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जाना चाहिए, जैसा कि सत्तारूढ़ दल कर रहा है।
BJP का दोहरा मापदंड: स्वाइन ने यह भी याद दिलाया कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने शुरुआत में जीएसटी का विरोध किया था।
अन्य वस्तुओं पर टैक्स माफी की मांग: विपक्ष ने चावल, चपटे चावल और केंदू पत्तों जैसी आवश्यक वस्तुओं पर भी टैक्स में पूरी छूट की मांग की।
विपक्ष के बहिष्कार के बीच प्रस्ताव पारित होने से यह स्पष्ट है कि जीएसटी सुधार आने वाले दिनों में ओडिशा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव का एक बड़ा मुद्दा बना रहेगा।