Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में यूपी के अमरोहा जिले में एक 18 वर्षीय छात्रा की असमय मौत ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, छात्रा की मौत का कारण उसके शरीर में फास्ट फूड खाने से उत्पन्न संक्रमण को बताया गया था। लेकिन बाद में परिवार ने इसका खंडन किया और कहा कि छात्रा को आंतों की ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) थी, जो उसकी मौत का असली कारण बनी।
फास्ट फूड या आंतों की बीमारी?
मामला तब और गंभीर हो गया जब कुछ रिपोर्ट्स ने यह दावा किया कि छात्रा की मृत्यु का कारण फास्ट फूड में पत्तागोभी में पाए जाने वाले कीड़ों का सेवन था। यह कीड़े उसके शरीर में संक्रमण का कारण बने और इसके चलते दिमाग में गांठें बन गईं, जो उसकी जान के लिए खतरनाक साबित हुईं। हालांकि इस दावे की सत्यता की पुष्टि अभी तक किसी आधिकारिक स्रोत से नहीं हुई है।
सिर्फ टाइफाइड से शुरू हुई बीमारी?
परिवार के अनुसार, छात्रा को एक महीने पहले बुखार हुआ था और डॉक्टरों ने उसे टाइफाइड की पुष्टि की थी। इस सामान्य बीमारी के बाद जब स्थिति बिगड़ी और सिर में दर्द की शिकायत बढ़ने लगी, तो उसे नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती किया गया। वहां डॉक्टरों ने सीटी स्कैन और एमआरआई रिपोर्ट्स से पाया कि उसकी मस्तिष्क में सात से आठ गांठें थीं।
गांठों की संख्या में अचानक वृद्धि
जैसे-जैसे इलाज चलता गया, स्थिति और बिगड़ती गई। जांचों में यह पता चला कि दिमाग में गांठों की संख्या बढ़कर 20 से 25 हो गई थी, जिसे देखकर डॉक्टर भी हैरान रह गए। संक्रमण के इस गंभीर रूप को देखते हुए छात्रा को 22 दिसंबर को दिल्ली भेजा गया, जहां उसकी दिमाग की एक बड़ी सर्जरी की गई। दुर्भाग्यवश, सोमवार को इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
प्रभाव और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
छात्रा की मौत ने न केवल उसके परिवार को गहरे शोक में डुबो दिया, बल्कि पूरे इलाके में मातम का माहौल बन गया। लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि एक होशियार और मेधावी छात्रा का डॉक्टर बनने का सपना अब अधूरा रह गया। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि किस तरह से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सही समय पर पता न चलना कितनी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता है।

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